अगर आपके कुंडली में कमजोर है शनि ग्रह, तो ऐसे करें मजबूत, जानिए इसके लक्षण और प्रभाव
नई दिल्ली । शनि ग्रह (saturn) को कर्म और न्याय का कारक ग्रह माना गया है। अगर किसी की कुंडली (Horoscope) में शनि ग्रह मजबूत स्थिति में हों तो उसे मालामाल बना देते हैं लेकिन अगर शनि ग्रह नीच के हों, या शत्रु ग्रहों के साथ बैठे हों तो उस व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शनि व्यक्ति की परीक्षा लेते हैं। उसे आर्थिक, शारीरिक, मानसिक पीड़ा देते हैं। व्यक्ति कानूनी मामलों में फंसता है और कार्यक्षेत्र में भी उसे बाधाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आइये जानते हैं कि कुंडली में शनि की मजबूत और कमजोर स्थिति किस तरह के प्रभाव डालती है और शनि की स्थिति मजबूत करने के उपाय क्या हैं।
शनि ग्रह मजबूत स्थिति में हों तो
शनि ग्रह को नवग्रहों के न्यायाधीश का दर्जा मिला है। कहा जाता है कि शनि व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल देते हैं। अगर किसी की कुंडली में शनि मजबूत स्थिति में हैं तो वह व्यक्ति मेहनती होता है। वह सच का साथ देता है और न्यायप्रिय होता है। इसी तरह वह व्यक्ति अपने जीवन में सफलता और स्थिरता प्राप्त करता है। यही नहीं वह सेहत से जुड़ी परेशानियों से भी दूर रहता है। ऐसे व्यक्ति के मान सम्मान में इजाफा होता है। वह अच्छा प्रशासक बनता है। मजबूत शनि के होने से उच्च पद प्राप्त करने की भी संभावना होती है। आमतौर पर किसी की कुंडली के दूसरे, तीसरे और सातवें भाव में बैठे शनि को अनुकूल माना जाता है।
कुंडली में कमजोर शनि के प्रभाव
अगर किसी की कुंडली में शनि दुर्बल अवस्था में हैं तो उस व्यक्ति को कई तरह की परेशानियां आती है। उसके कार्यों में बाधाएं आती हैं। उसे असफलताओं का सामना करना पड़ता है। कार्यक्षेत्र में सहयोग नहीं मिलता है। सेहत से जुड़ी परेशानियां होती हैं। सामान्य रूप से कुंडली के पहले, चौथे, पांचवें और छठे भाव में बैठे शनि को अनकूल नहीं माना जाता है।

अलग-अलग भावों में कमजोर शनि के प्रभाव
किसी की कुंडली में अगर पहले भाव में शनि कमजोर हैं तो उसे आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। दूसरे भाव में कमजोर शनि विवाह और ससुराल से जुड़ी समस्याएं बढ़ाता है। तीसरे भाव में अगर शनि कमजोर हो तो जातक को मानसिक समस्याएं और वाहन दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। चौथे भाव का दुर्बल शनि बुरे व्यवसन की ओर ले जाता है। पांचवें भाव में शनि कमजोर हो तो व्यक्ति को 48 साल तक घर नहीं बनाना चाहिए वरना बेटा पीड़ित होता है। छठे भाव का कमजोर शनि लोहे-चमड़े के काम में अनुकूल परिणाम नहीं देता है। सातवें भाव का कमजोर शनि व्यभिचार की ओर ले जाता है। आठवें भाव का शनि पिता के लिए नुकसानदेह हो सकता है। 11वें भाव का दुर्बल शनि अगर राहु-केतु के साथ हो तो जातक छल कपट की ओर आकर्षित होता है।
अलग-अलग भावों में कमजोर शनि के प्रभाव
किसी की कुंडली में अगर पहले भाव में शनि कमजोर हैं तो उसे आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। दूसरे भाव में कमजोर शनि विवाह और ससुराल से जुड़ी समस्याएं बढ़ाता है। तीसरे भाव में अगर शनि कमजोर हो तो जातक को मानसिक समस्याएं और वाहन दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है। चौथे भाव का दुर्बल शनि बुरे व्यवसन की ओर ले जाता है। पांचवें भाव में शनि कमजोर हो तो व्यक्ति को 48 साल तक घर नहीं बनाना चाहिए वरना बेटा पीड़ित होता है। छठे भाव का कमजोर शनि लोहे-चमड़े के काम में अनुकूल परिणाम नहीं देता है। सातवें भाव का कमजोर शनि व्यभिचार की ओर ले जाता है। आठवें भाव का शनि पिता के लिए नुकसानदेह हो सकता है। 11वें भाव का दुर्बल शनि अगर राहु-केतु के साथ हो तो जातक छल कपट की ओर आकर्षित होता है।