उत्तर प्रदेश

आईवीआरआई में “रिप्रोडक्टिव अल्ट्रासोनोग्राफी एण्ड इन्फर्लिटी मैनेजमेंट” विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ


बरेली, 07 जनवरी। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के संयुक्त निदेशालय प्रसार शिक्षा द्वारा गुजरात के पशुचिकित्साधिकारियों के ”रिप्रोडक्टिव अल्ट्रासोनोग्राफी एण्ड इन्फर्लिटी मैनेजमेंट विषय पर 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का कल शुभारम्भ हुआ। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 12 पशु चिकित्साधिकारियों ने भाग लिया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम गुजरात वेटनरी काउन्सिल, गांधी नगर द्वारा प्रायोजित किया गया।
उद्घाटन अवसर पर बोलते हुए संस्थान की संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डा रूपसी तिवारी ने कहा कि आप लोग ऐसे राज्य से आये हैं जो दूध उत्पादन, गाय उत्पादन, गौ संरक्षण एवं गौ संवर्धन के बारे में देश को ही नहीं अपितु विश्व को दिशा देता है। उन्होंने कहा कि गुजरात एक ऐसा राज्य है जहां से पूरे भारत देश ने मिल्क सोसाइटी के सिद्धान्त को सीखा है। उन्होंने कहा कि आईवीआरआई में उपस्थित विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ द्वारा अल्ट्रासानोग्राफी के उपयोग करके दुधारू पशुओं में बाँझपन तथा प्रजनन सम्बंधित विकारों को दूर करने के लिए उन्नत तकनीक सिखाई जाएगी ।
इस अवसर पर पशु पुनरूत्पादन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. मेराज हैदर खान ने बताया कि डेयरी प्रोडक्शनवेक ऐसा लाभकारी व्यवसाय है जिसने देश के लगभग 5 करोड़ किसानों को रोजगार प्रदान किया है। उन्होंने बताया कि हम दुग्ध उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान पर हैं हमारी पर प्रति ब्यक्ति उपलब्धता 450 मिलीग्राम पहुंच गयी है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुमोदित मात्रा से काफ़ी अधिक है। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतर्री के साथ साथ पिछले दो दशकों में प्रजनन सम्बन्धी बीमारियां भी बड़ी हैं और इन्फर्टिलिटी की समस्या भी बढ़ रही है। इस संदर्भ में अल्ट्रासोनोग्राफी का प्रशिक्षण इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगी क्योंकि इसके द्वारा हम बीमारी का सटीक पता कर पायेंगे तथा उससे निदान भी आसान हो जायेगा इससे उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है तथा इलाज में खर्च को कम किया जा सकता है।
इससे पूर्व प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित सभी पशुचिकित्साधिकारियों का स्वागत करते हुए डॉ बृजेश कुमार ने कहा कि इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रमें प्रतिभागियों को बांझ गाय और भैंसों की अल्ट्रासोनोग्राफी परीक्षण, अल्ट्रासोनोग्राॅफी द्वारा गर्भावस्था का निदान, अल्ट्रासोनोग्राफी एवं इमेज अनूकूलन, गोजातीय प्रजनन में अल्ट्रासोनोग्राफी की भूमिका तथा पशु पोषण, बांझपन, सीमेन उत्पादन, आईसीटी टूल्स सहित अनेक क्षेत्रों के बारे में विस्तृत जानकारी दी जायेगी।
कार्यक्रम का संचालन पशु पुनरूत्पादन विभाग के डा. बृजेश कुमार द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रसार शिक्षा विभाग की वैज्ञानिक डा. श्रुति द्वारा किया गया इस अवसर पर विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारीगण मौजूद रहे। ————————————————-बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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