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भारत का प्रत्यक्ष कर संग्रह बीते 10 वर्षों में तीन गुना बढ़कर 20 लाख करोड़ रुपये हुआ : राजस्व सचिव

नई दिल्ली : भारत का प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले दस वर्षों में 5.59 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 20 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इस दौरान टैक्स-टू-जीडीपी रेश्यो भी बढ़कर 6 प्रतिशत पर पहुंच गया है, जो कि पहले 5.6 प्रतिशत था। राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने यह जानकारी दी। ‘इनकम टैक्स डे’ पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को टेक्नोलॉजी और करदाताओं की सुविधा बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए।

इसके साथ ही उन्होंने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के तेजी से काम करने को भी हाईलाइट करते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में 7.28 करोड़ (31 जुलाई तक) आईटीआर जमा हुए। इसमें से 4.98 करोड़ आईटीआर प्रोसेस हो चुके हैं। 3.92 करोड़ आईटीआर 15 से कम दिनों में ही प्रोसेस हो चुके थे।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पिछले कुछ वर्षों में टैक्स बेस को दोगुना करने में सफल रहा है। साथ ही फेसलेस रिजीम, ई-वेरिफिकेशन और ई-फाइलिंग आदि के जरिए करदाताओं के लिए अनुपालन को कम किया है। इसी कार्यक्रम में सीबीडीटी के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने कहा कि डिपार्टमेंट का फोकस करदाताओं के लिए सर्विसेज को बढ़ाने और टेक्नोलॉजी के लिए अनुपालन को कम करने पर है।

उन्होंने आगे कहा कि बीते वित्त वर्ष शुद्ध कर संग्रह में 17.7 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली थी। वहीं, पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल (31 जुलाई तक) जमा होने वाले आईटीआर की संख्या में 7.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वहीं, 72 प्रतिशत इनकम टैक्स रिटर्न नई टैक्स रिजीम के तहत भरे गए हैं। इसमें 58.57 लाख पहली बार इनकम टैक्स रिटर्न जमा करने वाले थे, जो दिखाता है कि टैक्स बेस भारत में बड़ा हो रहा है।

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