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रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय में मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

बरेली, 8 मार्च। एम.जे.पी. रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय के मानविकी विभाग में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केपी सिंह की प्रेरणा से किया गया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से आईं विशिष्ट वक्ताओं ने महिला सशक्तिकरण, सामाजिक समरसता एवं महिलाओं की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता मानविकी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अनीता त्यागी ने की, जबकि प्रो. शोभना सिंह (डीन, एफईटी एवं हेड, फार्मेसी), डॉ. स्वाति दांद्रियाल (डेंटल सर्जन), श्रीमती नीरू प्रसाद (प्रिंसिपल, वंडर इयर्स स्कूल), श्रीमती अनीता गंगवार (उद्यमी), सुश्री चिया ली चेन (मेंडरिन प्रशिक्षक), डॉ. स्वेता त्यागी (मेडिकल ऑफिसर, जगतपुर), श्रीमती आरोही शर्मा (अध्यक्ष, क्षेत्रीय कार्यालय,टाइम्स ऑफ इंडिया) श्रीमती ममता त्यागी, श्रीमती सुनीता शर्मा (प्रवक्ता,) एवं डॉ० सारा लिउ (काइनन विश्वविद्यालय, ताइवान) मुख्य अतिथि रहीं।
कार्यक्रम का शुभारंभ सभी अतिथियों द्वारा द्वीप प्रज्ज्वलन और माँ सरस्वती के पूजन से हुआ। कार्यक्रम को प्रारंभ करते हुए डॉ. अनीता त्यागी ने अपने सम्बोधन में कहा कि महिलाओं का सशक्तिकरण केवल उनके अधिकारों तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज में समानता और न्याय की स्थापना का एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने दहेज प्रथा और नशा जैसी कुप्रथाओं पर कड़ा प्रहार करते हुए युवाओं को इन सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जागरूक होने का संदेश दिया। उन्होंने कहा, “एक सशक्त महिला ही परिवार और समाज को नई दिशा देने में सक्षम होती है। हमें अपने विचारों को दृढ़ बनाना होगा और सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ते हुए आगे बढ़ना होगा।“
इसके पश्चात् प्रो. शोभना सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि समाज का ताना-बाना स्त्री एवं पुरुष के समान योगदान से निर्मित होता है। उन्होंने कहा, “सशक्त समाज की परिकल्पना तब ही संभव है, जब पुरुष और महिलाएं परस्पर सहयोग और सम्मान की भावना से कार्य करें। महिला दिवस केवल महिलाओं के उत्थान की बात नहीं करता, बल्कि समरसता और परस्पर सहयोग का संदेश भी देता है।“
डॉ. स्वाति दांद्रियाल ने इस अवसर पर कहा कि महिला सशक्तिकरण का अर्थ पुरुषों के विरोध में खड़ा होना नहीं है, बल्कि उनके सहयोग से आगे बढ़ना है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि परिवार और समाज में पुरुषों की सकारात्मक भूमिका से ही महिलाओं को सशक्त बनने का अवसर मिलता है।
शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए श्रीमती नीरू त्यागी ने विद्यार्थियों को निर्भय होकर जीवन जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा, “डर और संकोच से उबरकर ही महिलाएं अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकती हैं। आत्मविश्वास ही सफलता की कुंजी है।“
अपने संघर्षों की कहानी साझा करते हुए श्रीमती अनीता गंगवार ने बताया कि कैसे उन्होंने एक गृहिणी से एक सफल व्यवसायी बनने तक का सफर तय किया। उन्होंने छात्रों को संदेश दिया कि यदि इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं होती।
सुश्री चिया ली चेन ने महिलाओं को लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा, “महिला दिवस हमें यह याद दिलाने का अवसर देता है कि हमें अपने जीवन में बड़े लक्ष्यों को निर्धारित कर उनकी प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए।“
डॉ० सारा लिउ भी कार्यक्रम में विडिओ कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ी रहीं तथा सभी को आंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कि शुभकामनाएं देते हुए सभी को निरंतर जीवन में आगे बढ़ते रहने के लिए आजीवन प्रयासरत रहने का संदेश दिया।
कार्यक्रम के अंत में डॉ. स्वेता त्यागी ने सशक्तिकरण और अधिकारों के संतुलित उपयोग पर बल दिया। उन्होंने कहा, “महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहना चाहिए, लेकिन यह भी आवश्यक है कि वे इन अधिकारों का दुरुपयोग न करें। समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए हमें अपने कर्तव्यों को भी समझना होगा।“
कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. अनीता त्यागी ने किया, जिन्होंने सभी अतिथियों एवं विद्यार्थियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर मानविकी विभाग के संकाय सदस्य एवं छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कार्यक्रम ने महिलाओं की भूमिका एवं उनके सशक्तिकरण पर एक सार्थक संवाद स्थापित किया और समाज में समता, सहयोग एवं सशक्तिकरण का संदेश दिया।
उपस्थिति विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक सहयोग देते हुए वक्ताओं को सुना। कार्यक्रम के अन्त में धन्यवाद ज्ञापन व उपस्थित अतिथियों को उत्कृष्टता प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।कार्यक्रम के अन्त में विभाग के समस्त शिक्षकगण, कर्मचारी, छात्र-छात्राओं के अतिरिक्त विश्वविद्यालय के अन्य विभाग के शिक्षक व विद्यार्थी भी उपस्थित रहे।
बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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