ISRO का आदित्य एल वन खोलेगा सूरज के धब्बों का रहस्य, IIT बीएचयू के वैज्ञानिक हैं एक्सपर्ट
वाराणसी: भारत दुनियाभर के खगोल वैज्ञानिकों के लिए पहेली बने सूरज के धब्बों का रहस्य खोलेगा। भारत के पहले सौर मिशन ‘आदित्य एल-वन’ की लांचिंग तिथि की घोषणा के बाद आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिक भी तैयारी में जुट गए हैं। मिशन आदित्य एल-वन की सफलता के बाद सौर अध्ययन के क्षेत्र में एक नए दौर की शुरुआत होगी। आईआईटी बीएचयू के तीन वैज्ञानिक इसरो की साइंस टीम के सदस्य हैं। इसरो ने उन्हें अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी हैं।
आदित्य एल-वन से होने वाली जांच का एक मुख्य विषय सूरज के धब्बे, इनके कारण और प्रभाव होंगे। आईआईटी के डॉ. विद्या विनय कारक ने कहा, पहले माना जाता था कि सूरज के धब्बे सतह पर होने वाले न्यूक्लियर फ्यूजन जैसे विस्फोटों के कारण बनते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये धब्बे चंद्रमा की तरह स्थायी न होकर बनते बिगड़ते रहते थे। हालांकि पिछले कुछ दशकों के अध्ययन में यह स्पष्ट हो गया कि यह धब्बे सूरज की तरह पर बन रहे चुंबकीय क्षेत्र का नतीजा हैं।
चुंबकीय क्षेत्र में बनाने वाले धब्बों और उनके प्रभावों का अभी अभी सटीक अध्ययन होना बाकी है। आदित्य एलवन से मिलने वाले डेटा के जरिए ये कारण और स्पष्ट हो सकेंगे। इसके साथ ही सूरज की सतह और भीतर हो रही हलचल की भी बेहतर निगरानी और भविष्यवाणी करने में भारत के वैज्ञानिक सक्षम होंगे।
संचार पर सीधा प्रभाव डालती हैं सौर आंधियां
डॉ. विद्या विनय कारक ने बताया कि सूरज पर होने वाले प्लाज्मा विस्फोट और गैस क्लाउड्स के कारण सौर आंधियां बहती हैं जिन्हें जिओ मैग्नेटिक स्टार्म भी कहा जाता है। इसका सीधा असर पृथ्वी की कक्षा में स्थापित उपग्रहों पर पड़ता है। उनसे दुनियाभर की संचार व्यवस्था प्रभावित होती है। 4 फरवरी 2022 को ऐसी सौर आंधी के कारण एक निजी कंपनी के 38 स्टारलिंक उपग्रह पूरी तरह नष्ट हो गए थे। उन्होंने बताया कि आदित्य एल-वन से मिले डेटा की मदद से ऐसी सौर आंधियों के रास्ते और इनसे बचाव के तरीके तलाशे जा सकेंगे।