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आईवीआरआई द्वारा बैकयार्ड मुर्गीपालन को बढ़ावा देने हेतु दलित वर्ग के ग्रामीणों को चूजों, पिंजरे व दाना सामग्री का वितरण

बरेली ,21जून।भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आई.वी.आर.आई.), इज्जतनगर द्वारा संचालित फॉर्मर फर्स्ट परियोजना के अंतर्गत एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम दलित वर्ग के ग्रामीण किसानों की आय वृद्धि एवं बैकयार्ड मुर्गीपालन को टिकाऊ व लाभकारी बनाने के उद्देश्य से केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर में आयोजित किया गया।

इस अवसर पर परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. अश्वनी कुमार पाण्डेय एवं सह-अन्वेषक श्री जगवीर त्यागी द्वारा उपस्थित ग्रामीणों को बैकयार्ड मुर्गीपालन के वैज्ञानिक तरीकों, लाभकारी प्रबंधन तकनीकों, तथा बाजार से जुड़ाव के माध्यम से आयवृद्धि के उपायों की जानकारी दी गई।

कार्यक्रम के दौरान आलमपुर जाफराबाद ब्लॉक के कटका रमन, सिंघा, भमोरा और सहसा गाँव के कुल 12 चयनित दलित वर्ग के ग्रामीण लाभार्थियों को कैरी श्यामा एवं कैरी निर्भीक नस्ल की मुर्गियों के 15-15 चूजे, पिंजरे, पानी व दाने के बर्तन, 20 किलो मुर्गी दाना तथा एक ड्रम वितरित किए गए। साथ ही, विशारतगंज क्षेत्र के कुछ सक्रिय मुर्गी पालकों को भी इस योजना का लाभ प्रदान किया गया।

इस अवसर पर भा.कृ.अनु.प.-केन्द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. ए. के. तिवारी ने कार्यक्रम में सहभागिता करते हुए संस्थान द्वारा विकसित मुर्गी की कैरी श्यामा एवं कैरी निर्भीक नस्लों की विशेषताओं से ग्रामीणों को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि ये नस्लें भारतीय पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ अंडा एवं मांस उत्पादन में भी बेहतर प्रदर्शन करती हैं।

इसके अतिरिक्त संस्थान की टीम द्वारा मुर्गीपालकों के गांवों में जाकर उन्हें मुर्गी पालन में बरती जाने वाली महत्वपूर्ण सावधानियाँ तथा घरेलू स्तर पर मुर्गी दाना तैयार करने की विधियाँ भी सिखाई गईं, जिससे वे कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त कर सकें।
बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट