म्यांमार का गृह युद्ध भी खत्म कराएंगे PM मोदी, भारत पर ही आसियान का भरोसा
नई दिल्ली: भारत का पड़ोसी देश म्यांमार पिछले तीन साल से ज्यादा समय से गृहयुद्ध की आग में झुलस रहा है. यहां वर्ष 2021 में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद से देशभर में विद्रोह और गृहयुद्ध छिड़ गया. साढ़े 5 करोड़ की आबादी वाले इस देश में जारी अराजकता ने आसियान देशों की चिंता बढ़ा दी है. यही वजह है कि लाओस में हो रहे आसियान बैठक में म्यांमार के गृह युद्ध को खत्म कराने पर खास तौर पर फोकस है. इस गृह युद्ध को रुकवाने में आसियान देश अब भारत की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं.
भारत वैसे तो आसियान (ASEAN) का सदस्य नहीं है, लेकिन आसियान के मौजूदा अध्यक्ष लाओस के प्रधानमंत्री सोनेक्से सिफंडोन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खासतौर से न्योता दिया है. उनके न्योते पर ही पीएम कल यानी 10 अक्टूबर से दो दिनों के लिए लाओस दौरे पर जा रहे हैं. इस दौरान वे आसियान-इंडिया शिखर सम्मेलन और 19वें ईस्ट एशिया समिट में शामिल होंगे. इसके अलावा म्यांमार में जारी गृहयुद्ध रोकने पर आसियान देशों के साथ मंथन करेंगे.
थाईलैंड ने पिछले महीने ही सुझाव दिया था कि म्यांमार के दूसरे प्रभावशाली पड़ोसी देश, चीन और भारत, शांति प्रयास में भूमिका निभा सकते हैं. म्यांमार में शांति प्रयासों में कोई प्रगति नहीं दिखने के बाद थाईलैंड अब राजनीतिक समाधान के लिए नया रास्ता प्रस्तावित करने की तैयारी में है. इस प्रस्ताव पर आसियान समिट के दौरान पीएम मोदी के साथ चर्चा होने की उम्मीद है.
विदेश मंत्रालय ने पीएम मोदी की यात्रा की घोषणा करते हुए एक बयान में कहा, ‘भारत इस साल एक्ट ईस्ट पॉलिसी का एक दशक पूरा कर रहा है. आसियान के साथ संबंध एक्ट ईस्ट पॉलिसी और हमारे हिंद-प्रशांत विजन का केंद्रीय स्तंभ हैं. आसियान-इंडिया समिट हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी के जरिये भारत-आसियान संबंधों की प्रगति की समीक्षा करेगा और सहयोग की भविष्य की दिशा तय करेगा.’
लाओस यात्रा के दौरान पीएम मोदी का काफी बिजी शेड्यूल रहने वाला है. वह यहां शिखर वार्ता और द्विपक्षीय बैठकों के अलावा कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी शामिल होंगे. लाओस की राजधानी वियनतियान पहुंचने पर वरिष्ठ बौद्ध भिक्षु पीएम मोदी का स्वागत करेंगे. दो दिनों की इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी भारतीय प्रवासियों के साथ बातचीत करेंगे और कई द्विपक्षीय बैठकें करेंगे. वह लाओ रामायण की विशेष स्क्रीनिंग में भी भाग लेंगे.
फ्रा पाक फ्रा राम लाओ लोगों का राष्ट्रीय महाकाव्य है. फ्रा राम ज़ादोक की शुरुआत का श्रेय लैन ज़ेंग के पहले राजा चाओ फा न्गौम को दिया जाता है. लाओ रामायण, जिसे फलक-फलम या फ्रा लाक फ्रा राम के नाम से जाना जाता है, प्राचीन महाकाव्य रामायण (या रामकियन, जैसा कि इसे दक्षिण पूर्व एशिया में लोकप्रिय रूप से जाना जाता है) का लाओ रूपांतरण है.
पीएम मोदी की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब भारत इस साल एक्ट ईस्ट पॉलिसी का एक दशक पूरा कर रहा है. इस दौरान व्यापार और निवेश, रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में भारत और आसियान के बीच संबंध मजबूत हुए हैं. यह वर्ष इस क्षेत्र के कई देशों के साथ भारत के राजनयिक संबंधों की स्थापना की महत्वपूर्ण वर्षगांठों का भी प्रतीक है. इसमें इंडोनेशिया के साथ 75वीं, फिलीपींस के साथ 75वीं, सिंगापुर के साथ 60वीं और ब्रुनेई के साथ 40वीं वर्षगांठ शामिल है.
पीएम मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में वियतनाम और मलेशिया के प्रधानमंत्रियों की नई दिल्ली में अगवानी की. इस बीच प्रधानमंत्री ने ब्रुनेई और सिंगापुर का दौरा किया और नेतृत्व के साथ उपयोगी विचार-विमर्श किया. ब्रुनेई की यात्रा किसी भारतीय प्रधानमंत्री की उस देश की पहली द्विपक्षीय यात्रा थी. भारत के राष्ट्रपति ने भी भारत की ओर से पहली बार राष्ट्राध्यक्ष की यात्रा के लिए तिमोर-लेस्ते की यात्रा की. इन यात्राओं में से प्रत्येक में कई समझौतों पर हस्ताक्षर और आदान-प्रदान और कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं देखने को मिली थीं.