बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में महिला उद्यमिता विषय पर हुआ राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में दिनांक 19 नवंबर को प्रबंधन अध्ययन विभाग की ओर से महिला उद्यमिता विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम नवाचार और समावेशन के माध्यम से स्वदेशी विकास को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की। मुख्य अतिथि के तौर पर डॉक्टर मोरिंगा प्राइवेट लिमिटेड की डायरेक्टर डॉ. कामिनी सिंह उपस्थित रहीं। इसके अतिरिक्त मंच पर सबला एनजीओ, रायबरेली की सैक्रेटरी सुश्री मीनू त्यागी, प्रबंध अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष प्रो. अमित कुमार सिंह, कार्यक्रम संयोजक डॉ. लता बाजपेयी सिंह एवं सह संयोजक डॉ. कृष्ण मुरारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। विश्वविद्यालय कुलगीत गायन के पश्चात आयोजन समिति की ओर से अतिथियों एवं शिक्षकों को पुष्पगुच्छ भेंट करके उनका स्वागत किया गया। सर्वप्रथम डॉ. लता बाजपेयी सिंह ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया एवं सभी को कार्यक्रम के उद्देश्य एवं रुपरेखा से अवगत कराया।
विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में भारत की प्रगति तभी संभव है जब देश का युवावर्ग व्यवसाय और उद्यमिता से जुड़कर नए अवसरों का सृजन करे, क्योंकि यह समय की मांग है। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि किसी भी व्यवसाय की शुरुआत करने से पहले युवा को असफलता के डर से ऊपर उठना होगा। उनके अनुसार कड़ी मेहनत, दृढ़ निश्चय, नेतृत्व क्षमता, संभावनाओं की पहचान और अनुशासन जैसे गुण ही किसी भी उद्यमी को सफलता के पथ पर आगे ले जाते हैं। उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि व्यवसाय शुरू करने में जाति, आय, सामाजिक दबाव या डिग्री जैसी चीज़ें कोई वास्तविक बाधा नहीं बनतीं बल्कि सच्चा जज़्बा, सकारात्मक दृष्टिकोण और निरंतर प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं। उन्होंने बीबीएयू के छात्रों का आह्वान किया कि वे वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) पहल के तहत ‘एक वर्ष में एक करोड़’ के व्यवसाय का लक्ष्य निर्धारित करें और उद्यमिता के क्षेत्र में साहसिक कदम उठाएँ। प्रो. मित्तल ने छात्रों को आश्वस्त किया कि विश्वविद्यालय उनके हर कदम पर पूर्ण सहयोग प्रदान करेगा चाहे वह प्रशिक्षण हो, संसाधनों की उपलब्धता हो या मार्गदर्शन। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाला समय उन युवाओं का है जो नवाचार, आत्मविश्वास और मेहनत के साथ अपने सपनों को साकार करने की क्षमता रखते हैं। यदि युवा आज से ही व्यवसाय और स्टार्टअप संस्कृति की ओर अग्रसर होते हैं, तो न केवल उनका भविष्य उज्ज्वल होगा, बल्कि देश भी आर्थिक रूप से और अधिक मजबूत बनकर वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बढ़ाएगा।
डॉक्टर मोरिंगा प्राइवेट लिमिटेड की डायरेक्टर डॉ. कामिनी सिंह ने अपने डॉ. मोरिंगा प्राइवेट लिमिटेड के बारे में बताते हुए कहा कि उनका यह संस्थान ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाता है, जहाँ महिलाएँ कृषि-उत्पादों को तैयार कर उन्हें बाज़ारों तक पहुँचाने का कार्य दक्षता और समर्पण के साथ करती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि महिला उद्यमिता न केवल आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम है, बल्कि समाज के समग्र विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि इससे महिलाओं में आत्मनिर्भरता, निर्णय लेने की क्षमता और नेतृत्व गुणों का विकास होता है। जब महिलाओं को संसाधन, प्रशिक्षण और अवसर मिलते हैं, तब वे न केवल अपनी आर्थिक स्थिति सुधारती हैं, बल्कि पूरे समुदाय को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाने में योगदान देती हैं। इसी उद्देश्य से उनका संस्थान लगातार प्रयासरत है कि अधिक से अधिक ग्रामीण महिलाएँ स्वरोजगार और उद्यमिता के माध्यम से अपने जीवनस्तर को बेहतर बना सकें तथा स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुँचाकर अपनी पहचान स्थापित कर सकें।
सबला एनजीओ की सैक्रेटरी सुश्री मीनू त्यागी ने बताया कि वह अपने एनजीओ के माध्यम से ग्रामीण एवं हाशिए पर रहने वाले समुदायों की महिलाओं, किशोरियों और किशोर लड़कों के साथ कार्य करती हैं। जिसके अंतर्गत उन्हें विभिन्न कौशलों का प्रशिक्षण देकर व्यवसायिक दुनिया से जोड़ने का प्रयास किया जाता है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और अपने परिवार तथा समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें। उन्होंने प्रेरणादायक शब्दों में कहा कि जब भी आप किसी नए कार्य की शुरुआत करते हैं और एक जुगनू की तरह चमकते हैं, तो अनेक लोग आपकी उस चमक से प्रभावित होंगे, कुछ प्रोत्साहित करने वाले होंगे तो कुछ आलोचना भी कर सकते हैं। लेकिन इन सभी बातों को अनदेखा करते हुए आगे बढ़ने का साहस ही सफलता की सबसे बड़ी कुंजी है। उनका मानना है कि अपने निर्धारित लक्ष्य पर केंद्रित रहकर, निरंतर सीखते हुए और आत्मविश्वास बनाए रखते हुए ही व्यक्ति बाधाओं को पार कर पाता है। इसी सोच के साथ उनका संगठन लगातार यह सुनिश्चित करने में लगा है कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएँ और युवा अपनी क्षमताओं को पहचानें, उन्हें निखारें, और जीवन में आगे बढ़कर अपने सपनों को साकार कर सकें।
संकायाध्यक्ष प्रो. अमित कुमार सिंह ने बताया कि किसी भी व्यवसाय की शुरुआत केवल एक विचार से नहीं होती, बल्कि उसके लिए सबसे पहले आत्मबोध की आवश्यकता होती है। उनका कहना था कि जब व्यक्ति स्वयं को, अपनी क्षमताओं को और अपने अंदर छिपे संभावनाओं को पहचान लेता है, तभी उद्यमिता की सच्ची यात्रा शुरू होती है। आत्मबोध ही वह प्रथम सीढ़ी है जो व्यक्ति को न केवल दिशा देता है, बल्कि कठिन परिस्थितियों में आगे बढ़ने की शक्ति भी प्रदान करता है। इस अवसर पर विभिन्न प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिभागियों ने ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम में संगोष्ठी के विषय से संबंधित विभिन्न उप-विषयों पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये। साथ ही कुलपति जी एवं अतिथियों द्वारा बिजनेस प्लान प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। अंत में आयोजन समिति की ओर से अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं शॉल भेंट करके उनके प्रति आभार व्यक्त किया गया। अंत में डॉ. कृष्ण मुरारी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
समस्त कार्यक्रम के दौरान डॉ. तरूणा, डॉ. सलिल सेठ, अन्य शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।
---------------------------------------------------------------------------------------------------
