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बीमाधारकों से साइबर ठगी रोकने के लिए लागू होंगे नए नियम, दिशा-निर्देश जारी

नई दिल्ली। बीमाधारकों (Insured Persons) को किसी भी तरह की धोखाधड़ी या साइबर ठगी (Fraud or Cyber Fraud) से बचाने के लिए नए नियम लागू करने की तैयारी है। इसके लिए भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) (Insurance Regulatory and Development Authority of India – IRDAI) ने ‘बीमा धोखाधड़ी निगरानी रूपरेखा दिशानिर्देश-2025 जारी किए हैं। इसके तहत हर बीमा कंपनी को हर स्तर पर पुख्ता इंतजाम करने होंगे। नए नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू होंगे।

जालसाजों का डाटाबेस तैयार होगा
नियमों के अनुसार, कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी तरह की धोखाधड़ी, चाहे वह ऑनलाइन हो, एजेंटों के जरिए हो या पॉलिसीधारक की ओर से, उसकी तुरंत रिपोर्ट की जाए। कंपनियों के लिए यह भी अनिवार्य कर दिया गया है कि वे सभी धोखाधड़ी मामलों की जानकारी बीमा सूचना ब्यूरो के साथ साझा करें ताकि उसका एकसमान डाटाबेस तैयार हो सके।

हर बीमा कंपनी को एक धोखाधड़ी निगरानी समिति बनानी होगी। इसमें कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी और प्रमुख विभागों के लोग शामिल होंगे। इनका काम होगा धोखाधड़ी की पहचान करना, जांच करना और रिपोर्ट तैयार करना। कंपनियों को एक धाेखाधड़ी रोधी नीति भी बनानी होगी, जिसे कंपनी के बोर्ड से मंजूरी दिलानी होगी।

पहली बार साइबर ठगी शामिल
दिशा-निर्देशों में पहली साइबर ठगी को अलग श्रेणी के रूप में शामिल किया गया है। यानी अब ऑनलाइन ठगी, हैकिंग या किसी डिजिटल माध्यम से की गई बीमा धोखाधड़ी पर भी निगरानी रखी जाएगी।

बीमा एजेंट की जवाबदेही तय होगी
इरडा के अनुसार, बीमा एजेंटों और अन्य वितरण एजेंसियों को भी अब अपनी-अपनी धोखाधड़ी-रोधी नीति बनानी होगी, ताकि वे भी किसी तरह की गड़बड़ी को रोक सकें। अक्सर देखा गया है कि कई धोखाधड़ियां एजेंटों या मध्यस्थों के जरिए होती हैं, अब उन पर भी जवाबदेही तय की जा रही है।

फर्जी क्लेम वाले ग्राहक भी नपेंगे
बीमा कंपनियां अपने कामकाज के मुताबिक नए पैटर्न तय कर सकती हैं। इससे यह पता लगाना आसान हो जाएगा कि कोई ग्राहक बार-बार फर्जी क्लेम तो नहीं कर रहा। या एक ही एजेंट गलत तरीके से पॉलिसी तो नहीं बेच रहा है। ऐसे मामलों में तुरंत जांच की जा सकेगी।

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