आईवीआरआई में नव-प्रवेशित यूजी विद्यार्थियों हेतु ओरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित

बरेली, 21 दिसम्बर । भारतीय पशु चिकित्सा अनुसन्धान संस्थान में नव प्रवेशित यूजी (स्नातक) विद्यार्थियों के लिये ओरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूर्व महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा रहे । संस्थान निदेशक डॉ त्रिवेणी दत्त ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
छात्रों को संबोधित करते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूर्व महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रभावी शिक्षण तभी संभव है जब शिक्षक और छात्र दोनों निरंतर आत्ममूल्यांकन और सुधार के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा कि “कोई भी शिक्षक पूर्ण नहीं होता, इसलिए विद्यार्थियों से मिलने वाला फीडबैक शिक्षण प्रक्रिया को बेहतर बनाने का सबसे सशक्त माध्यम है।”
डॉ. महापात्रा ने विद्यार्थियों को “चलता है” संस्कृति से दूर रहने की सलाह देते हुए कहा कि यह रवैया न तो व्यक्ति को आगे बढ़ाता है और न ही संस्थान को। उन्होंने “परफेक्शन में गर्व” (Taking Pride in Perfection) की भावना अपनाने पर बल दिया और कहा कि हर कार्य को समयबद्ध, जिम्मेदारीपूर्ण और उच्च गुणवत्ता के साथ करना ही सच्ची शिक्षा का उद्देश्य है।
उन्होंने विद्यार्थियों को केवल डिग्री और रोजगार तक सीमित न रहकर समस्या-समाधान, नवाचार और सामाजिक योगदान की सोच विकसित करने की प्रेरणा दी। पशुपालन, रोग नियंत्रण, आनुवंशिकी सुधार, कृत्रिम गर्भाधान और ग्रामीण स्तर पर तकनीक के प्रभावी उपयोग जैसे क्षेत्रों में योगदान की आवश्यकता पर उन्होंने विशेष जोर दिया।
डॉ. महापात्रा ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने कक्षाओं में पढ़ाने के बाद विद्यार्थियों से व्यवस्थित फीडबैक लिया, जिससे उन्हें अपने शिक्षण तरीकों, पाठ्यक्रम सामग्री और सीखने के वातावरण में सुधार करने में मदद मिली। उन्होंने जोर देकर कहा कि हर शिक्षक को व्यक्तिगत स्तर पर विद्यार्थियों से फीडबैक लेने के लिए खुला होना चाहिए।
संस्थान की गरिमा पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि आईवीआरआई जैसे प्रतिष्ठित संस्थान की एक गौरवशाली ऐतिहासिक विरासत है, जिसे पूर्व और वर्तमान शिक्षकों के सतत योगदान ने इस ऊँचाई तक पहुँचाया है। उन्होंने कहा कि संस्थान भी व्यक्ति की तरह जन्म लेते हैं, विकसित होते हैं और टिके रहते हैं—लेकिन केवल वही संस्थान आगे बढ़ते हैं जो गुणवत्ता और नवाचार को अपनाते हैं।
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने कहा कि ज्ञान अर्जन के साथ-साथ नवोन्मेषी सोच का विकास अत्यंत आवश्यक है। आइडिया कभी भी, कहीं भी आ सकता है—जरूरत है तो केवल खुले और जिज्ञासु मन की। उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि वे स्वयं को मार्गदर्शित करना सीखें, व्यावहारिक बनें और अपने समय व प्रयास का सही दिशा में उपयोग करें।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में संस्थान के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने आईवीआरआई की 136 वर्षों की गौरवशाली यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि संस्थान ने वैक्सीन प्रौद्योगिकी, रोग निदान, महामारी विज्ञान, रोग नियंत्रण एवं ट्रांसलेशनल रिसर्च के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धियाँ हासिल की हैं।
संस्थान में उद्योगोन्मुख शिक्षा और निवेश की आवश्यकता पर जोर देते हुए संस्थान के अध्यक्ष डॉ. त्रिवेणी दत्त ने कहा कि वर्ष 2025 की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बहुविषयक (मल्टी-डिसिप्लिनरी) पाठ्यक्रमों की शुरुआत की गई है। इसका उद्देश्य शिक्षा को सशक्त बनाना और उसे आधुनिक तकनीकी जरूरतों के अनुरूप विकसित करना है।
उन्होंने बताया कि संस्थान में पहले ही बायो इन्फॉर्मेटिक्स जैसे आधारभूत पाठ्यक्रम शुरू किए जा चुके हैं। इसके साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा एनालिटिक्स तथा अन्य अत्याधुनिक तकनीकी पाठ्यक्रमों को व्यावसायिक (वेक्टर) शिक्षा के साथ एकीकृत किया जा रहा है।
डॉ. दत्त ने कहा कि संस्थान की योजना शिक्षा को व्यावसायिक शिक्षा के साथ जोड़ने की है, ताकि छात्रों को समग्र एवं रोजगारोन्मुख शिक्षा मिल सके। इस दिशा में कई महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम पहले ही शुरू किए जा चुके हैं, जो विशेष रूप से व्यावसायिक शिक्षा को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि इन पाठ्यक्रमों के माध्यम से छात्र विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही, वे संस्थान की एबीआई और आरएबीआई स्टार्टअप सुविधाओं का भी लाभ उठा सकेंगे, जिससे उन्हें नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में आगे बढ़ने के अवसर मिलेंगे।
अंत में डॉ. त्रिवेणी दत्त ने सम्मेलन के आयोजन में पधारने के लिए डॉ तिलोचन महापात्रा का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में प्रस्तुत ज्ञानवर्धक विचार नए स्नातक छात्रों को प्रेरित करेंगे और उन्हें पूरे उत्साह एवं प्रतिबद्धता के साथ अपने पेशेवर करियर को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
इस अवसर पर संयुक्त निदेशक (शैक्षणिक) डॉ. एस. के. मेंदिरत्ता ने कहा कि संस्थान के लिए यह गर्व का विषय है कि पूर्व महानिदेशक, आईसीएआर डॉ त्रिलोचन महापत्रा जी के कार्यकाल के दौरान आईवीआरआई को निरंतर प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि संस्थान की प्रगति और नए कीर्तिमान स्थापित करने में उनके सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस अवसर पर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए उन्होंने उनका विशेष आभार व्यक्त किया।
डॉ. मेंदिरत्ता ने आगे बताया कि संस्थान द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की कई प्रमुख सिफारिशों को सफलतापूर्वक लागू किया गया है। इसके परिणामस्वरूप आईवीआरआई को हाल ही में NAAC से ‘A++’ ग्रेड प्राप्त हुआ है। साथ ही, पिछले दो वर्षों में संस्थान को NIRF रैंकिंग में देश के शीर्ष 5 कृषि विश्वविद्यालयों में स्थान मिला है।
उन्होंने जानकारी दी कि शैक्षणिक वर्ष 2025–26 के लिए स्नातक (UG) प्रवेश प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूर्ण कर ली गई है। इस वर्ष BVSc & AH में 60 छात्र, B.Tech बायोटेक्नोलॉजी में 22 छात्र तथा B.Tech डेयरी टेक्नोलॉजी में 15 छात्रों का प्रवेश किया गया है।
डॉ. मेंदिरत्ता ने कहा कि संस्थान को सभी कार्यक्रमों में उत्कृष्ट प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है तथा शीर्ष रैंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। यहां तक कि पेमेंट सीट एवं NRI सीटों के लिए भी कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिली।
उन्होंने आगे बताया कि PG, B.VSc. एवं Ph.D. कार्यक्रम अब संस्थान के प्रमुख (फ्लैगशिप) कार्यक्रम बन चुके हैं। साथ ही, शैक्षणिक वर्ष 2025–26 से B.Tech डेयरी टेक्नोलॉजी कार्यक्रम की शुरुआत 15 छात्रों की प्रवेश क्षमता के साथ की गई है, जिसे भी उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है।

डॉ. मेंदिरत्ता ने इस अवसर पर सभी वैज्ञानिकों, विभागाध्यक्षों, शिक्षकों तथा विशेष रूप से स्नातक शिक्षण से जुड़े संकाय सदस्यों के समर्पण और सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने सभी नवप्रवेशित छात्रों का आईवीआरआई परिवार में स्वागत करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ दीं।
उन्होंने कहा कि छात्रों को संस्थान के वातावरण में ढलने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान किए जा रहे हैं, जहाँ वे अपने विचार, समस्याएँ और सुझाव सीधे संकाय सदस्यों एवं सलाहकारों से साझा कर सकते हैं। इस प्रकार का अकादमिक नेटवर्किंग एवं छात्र–शिक्षक संवाद अन्य संस्थानों में दुर्लभ है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ अंशुक शर्मा द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ रजिस्ट्रार श्री राजीव लाल द्वारा दिया गया । इस अवसर पर संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ रूपसी तिवारी, संयुक्त निदेशक केडराड डॉ सोहिनी डे, विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ ज्ञानेंद्र सिंह, डॉ एस के साहा सहित विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक एवं छात्र उपस्थित रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

