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“फॉर्मूले नहीं, सिर्फ विश्वास”: ‘धड़क 2’ की सफलता पर प्रगति देशमुख का बयान

 

मुंबई, अगस्त, 2025: बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘धड़क 2’ सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है। शुरुआती प्रतिक्रियाएं इसकी साहसी कहानी, शाज़िया इक़बाल और राहुल बडवेलकर की लेखनी की जमकर तारीफ कर रही हैं। निर्माता और क्रिएटिव लीडर प्रगति देशमुख कहती हैं, “हमारी प्रेरणा हमेशा से क्रिएटर की सोच रही है।”

हाल ही में कंटेंट हब समिट में उन्होंने अपनी कुछ मुख्य मूल्य व्यवस्थाओं पर बात की – “हम ऐसी कहानियों को प्रोत्साहित करते हैं जो ईमानदारी से कुछ कहना चाहती हैं। हर प्रोजेक्ट अलग होता है, इसलिए हम डील्स में फॉर्मूला नहीं अपनाते। हमारी साझेदारियाँ भरोसे, लचीलापन और आपसी सम्मान पर आधारित होती हैं। महान सिनेमा विश्वास से बनता है, न कि किसी तयशुदा तरीके से।”

उन्होंने इंडस्ट्री के बदलते स्वरूप पर भी बात की: “अब भाषाई सीमाएं धुंधली हो रही हैं, और थिएटर व डिजिटल फिल्मों का अंतर भी जटिल होता जा रहा है। सफलता सिर्फ बॉक्स ऑफिस से नहीं मापी जा सकती – म्यूजिक और डिजिटल रिलीज़ भी अहम है।”

उन्होंने ‘कालीधर लापता’ का उदाहरण दिया – “वो फिल्म पहले थिएटर में रिलीज़ होने वाली थी, लेकिन बाद में डिजिटल पर आई और साल की सबसे ज्यादा देखी जाने वाली फिल्म बन गई। यही वो लचीलापन है जिसे हम अपनाते हैं।”

“कहानी से सब शुरू होता है, लेकिन उसे ज़मीन पर लाने के लिए क्रिएटिव और फाइनेंशियल संतुलन भी ज़रूरी है,” प्रगति कहती हैं। “आज जो प्रोजेक्ट हम चुनते हैं, वो कल का दर्शक अनुभव तय करेगा। बदलाव तो होगा ही, लेकिन हमारा मकसद वही रहेगा – ऐसी फिल्में बनाना जो मायने रखती हों।”

इस साल ज़ी स्टूडियोज ने 8 नेशनल अवॉर्ड्स जीते हैं – जिसमें ‘12वीं फेल’ जैसी फिल्मों को सराहा गया। प्रगति के शब्दों में, “असली जीत वही होती है जब कहानी, क्राफ्ट, दर्शकों का प्यार और कमाई – सब एक साथ मिलें। वो तभी होता है जब आप लगातार सच्ची कहानियों पर भरोसा रखें और पूरी स्पष्टता व आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ें।”