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लखनऊ में सात दिवसीय ‘अमृतोत्सव’ का आयोजन

लखनऊ: डाक्यूमेंट्री फिल्म्स एवं थिएट्रिकल ट्रस्ट (डीएफटीटी ) द्वारा लखनऊ शहर में आयोजित सात दिवसीय ‘अमृतोत्सव’ जारी है। इसमें 13 अगस्त से 17 अगस्त तक नागर जी के जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती चित्र प्रदर्शनी चल ही रही है। ये चित्र प्रदर्शनी नागर जी के जीवन और उनकी रचनात्मक यात्रा पर गहन शोध का नतीजा है। सात दिवसीय इस ‘अमृतोत्सव’ के अंतर्गत आज ए पी सेन सभागार, लखनऊ यूनिवर्सिटी में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस ‘एक दिवसीय सेमिनार’ में नागर जी की पुत्री एवं प्रख्यात फिल्म लेखिका डॉ अचला नागर के अलावा जाने-माने रंगकर्मी श्री अनिल रस्तोगी, वरिष्ठ साहित्यकार श्री सूर्य प्रकाश दीक्षित, डॉ विद्या बिंदु, वरिष्ठ रंगकर्मी श्री सुल्तान अहमद रिज़वी और कई विभूतियों ने भाग लिया।

इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार श्री सूर्य प्रकाश दीक्षित जी ने विस्तार से नागर जी के जीवन और उनके कुछ चुनिंदा उपन्यासों जैसे ‘यह कोठेवालियां’, ‘नाच्यों बहुत गोपाल’, ‘एकदा नैमिषारण्य’, ‘बूँद और समुद्र’ और अन्य कई उपन्यासों से जुड़ी रोचक बातें कही। उन्होंने कहा कि नागर जी के उपन्यास ‘बूँद और समुद्र’ पात्र आज भी चौक में बोलते हैं, चौक की गलियां बोलती हैं वहां रातें जागती हैं।

डॉ अनिल रस्तोगी जी ने नागर जी की रंगमंच की यादों को ताज़ा करते हुए बताया कि नागर जी ने रंगमंच में कई तरह के नए-नए प्रयोग किये। यह जानना बेहद दिलचस्प है कि एक मर्तबा 1953 में नागर जी ने एक नाटक के लिए घूमने वाला मंच बनवाया, जो उस समय में एक दम नई बात था। एक और बात कि इस मंच पर वो ज़िंदा गाय को लेकर आये, गाय ने रिहर्सल में तो ठीक काम किया मगर शो में लोगों की भीड़ देखकर डर गयी और भागकर दर्शकों के बीच भाग गयी। यह भी कि अमृतलाल नागर जी ने प्रेमचंद के जिस नाटक का मंचन किया उसको लेकर नागर जी पर मुक़दमा भी हो गया था।

इस सेमिनार के उद्धघाटन में मुख्य अतिथि रहे डॉ महेंद्र सिंह, एम एल सी (भूतपूर्व मंत्री, उत्तर प्रदेश)। इस मौक़े पर डॉ महेंद्र जी ने कहा कि नागर जी का साहित्य निश्चित रूप से भारत की अमूल्य धरोहर है। उन्होंने यह भी कहा कि नागर जी ने अपनी 60 साल की यात्रा में जो रचनाएँ रची हैं वो आने वाली कई पीढ़ियों का मार्गदर्शन करती रहेंगी। डीएफटीटी द्वारा इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र, दिल्ली के सहयोग निर्मित शोध पत्रों के संकलन की किताब ‘चौक यूनिवर्सिटी का वाईस चांसलर’ का भी लोकार्पण किया गया।

लखनऊ यूनिवर्सिटी की प्रो वाईस चांसलर, प्रोफेसर मनुका खन्ना ने कहा कि अमृतलाल नागर जी जैसे प्रख्यात साहित्यकार पर लखनऊ यूनिवर्सिटी में एक दिवसीय सेमिनार में सहयोग करके हम गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। नागर जी पर आयोजित इस सेमिनार से मैं पूरी उम्मीद करती हूँ कि शोधार्थी और ख़ास कर हिंदी साहित्य से जुड़े विद्यार्थी लाभ पाएंगे। इसी के साथ श्री मुकेश बहादुर, चेयरमैन इंडो-अमेरिकन चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स जी ने कहा कि मैंने नागर जी पर आयोजित चित्र कला भी देखी है और आज सेमिनार में उपस्थित होकर मुझे लग रहा है कि अगर मैं यहाँ नहीं आता तो शायद नागर जी के दर्शन से वंचित रह जाता।

इस सेमिनार को रोचक बनाने के लिए ‘काव्योम’ द्वारा नागर जी की दो कहानियां ‘शकीला की मां’, और ‘पड़ोसन की चिठियाँ’ का वाचन भी किया गया।

‘अमृतोत्सव’ के आयोजक, डी एफ टी टी के अधियक्ष सविता शर्मा नागर और जनरल सेक्रेटरी राजेश अमरोही का कहना है कि इस ‘अमृतोत्सव’ का उद्देश्य है नागर जी के बहुमूल्य साहित्य को युवा पीढ़ी से जोड़ना है। आगे दोनों ने कहा कि हम यह देखकर ख़ुश हैं कि इस सेमिनार ने युवाओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। ‘अमृतोत्सव’ के अंतर्गत कल शाम 5 :30 बजे, संगीत नाटक अकादमी के मुख्य सभागार में नागर जी के जीवन पर बनी पहली फीचर लेंथ डाक्यूमेंट्री फिल्म को दिखाया जाएगा।

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