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PM नरेंद्र मोदी के फ्रांस दौरे पर स्कार्पिन और राफेल-एम सौदे में आएगी तेजी

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी फ्रांस यात्रा (visit) से 26 राफेल-एम लड़ाकू विमानों और तीन स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों की खरीद में तेजी आने की उम्मीद है, जिससे भारत (India) की नौसैनिक और हवाई क्षमताएं मजबूत होंगी. पीएम मोदी इस महीने द्विपक्षीय यात्रा पर पेरिस जा सकते हैं और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्शन समिट में भाग ले सकते हैं.

सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच भारत और फ्रांस के बीच अहम सौदों पर चर्चा होने की उम्मीद है. इन सौदों के साथ-साथ कई अन्य प्रमुख डिफेंस से जुड़े मुद्दों को इस साल 31 मार्च से पहले अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है.

सूत्रों के मुताबिक, इन प्रमुख सौदों के लिए आगामी हफ्तों में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की मंजूरी मिलने की उम्मीद है, जबकि अंतिम चर्चाएं प्रधानमंत्री मोदी की पेरिस यात्रा के आसपास हो सकती हैं.

भारतीय नौसेना अपने विमानवाहक बेड़े को मजबूत करने के लिए 26 राफेल-एम के नौसैनिक वेरिएंट्स का इंतजार कर रही है. ये लड़ाकू विमान INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य से संचालित होंगे. राफेल-एम के अलावा, प्रोजेक्ट-75 के तहत तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां बनाई जानी हैं, जो भारत की पानी के अंदर लड़ाकू ताकत को बढ़ाएंगी.

इन पनडुब्बियों का निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) और फ्रांस के नेवल ग्रुप के सहयोग से किया जाना है. नौसेना की अन्य खरीद भी अपेक्षित समयसीमा पर चल रही है. इस मामले से अवगत एक सूत्र ने बताया कि भारतीय नौसेना को 2029 तक अमेरिका से MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन मिलना शुरू हो जाएगा.

पिछले साल एक हादसे के बाद अमेरिका ने पहले ही एक प्रीडेटर ड्रोन के बदले दूसरा ड्रोन भेज दिया है. भारतीय नौसेना 2020 में जनरल एटॉमिक्स से लीज पर लिए गए दो MQ-9A का ऑपरेट कर रही है. पिछले साल सितंबर में, उनमें से एक ने चेन्नई के पास समुद्र में नियंत्रित लैंडिंग की थी, क्योंकि नियमित निगरानी मिशन के दौरान उसमें तकनीकी खराबी आ गई थी, जिसे उड़ान के दौरान ठीक नहीं किया जा सका था.

सरकार इस वित्तीय वर्ष के अंदर 307 एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGs) सहित अन्य प्रमुख रक्षा खरीद को अंतिम रूप देने पर जोर दे रही है. ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत रणनीतिक साझेदारी और स्वदेशी विनिर्माण के जरिए भारत के सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.

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