आईवीआरआई में वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित
बरेली, 06 फरवरी। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के तहत कृषि विज्ञान केंद्र, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन पर एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस प्रशिक्षण में कुल 28 अभ्यर्थियों ने भाग लिया।
प्रशिक्षण की प्रमुख बातें:
यह कार्यक्रम संयुक्त निदेशा प्रसार शिक्षा डॉ. रूपसी तिवारी के निर्देशन में किया गया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ. एच. आर. मीणा ने केंचुआ खाद उत्पादन तकनीक और इससे जुड़े संभावित व्यावसायिक अवसरों की विस्तार से जानकारी दी।
प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सी. एस. राघव ने जैविक खेती में मृदा पोषण प्रबंधन में वर्मीकम्पोस्ट की भूमिका पर प्रकाश डाला, जबकि फार्म प्रबंधक डॉ. अमित पिप्पल ने एकीकृत कृषि प्रणाली में अपशिष्ट प्रबंधन के महत्व को समझाया। उन्होंने प्रशिक्षुओं को खेतों में उत्पन्न होने वाले कचरे से जैविक खाद बनाने की विधियों से अवगत कराया और उन्हें कृषि विज्ञान केंद्र के फार्म का भ्रमण कराया।
प्रयोगात्मक प्रशिक्षण और व्यावहारिक अनुभव:
तकनीकी अधिकारी श्रीमती वाणी यादव ने वर्मीकम्पोस्ट निर्माण के लिए आवश्यक कच्चे माल, विभिन्न विधियों और प्रभावी जैव-अजैविक कारकों पर विस्तृत जानकारी दी। प्रशिक्षुओं को बेड निर्माण, खाद पलटने, छानने, पैकिंग और भंडारण की समस्त प्रक्रियाओं का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही, वर्मीवाश की गुणवत्ता और उसके उपयोग पर भी विशेष सत्र आयोजित किया गया।
बागवानी विशेषज्ञ डॉ. रंजीत सिंह ने जैविक खेती के लाभों पर चर्चा करते हुए बताया कि कैसे जैविक विधियों से उगाई गई सब्जियों और फलों का स्वाद और पोषण स्तर बेहतर होता है। उन्होंने रासायनिक खेती की तुलना में जैविक खेती के स्वास्थ्य और पर्यावरणीय लाभों पर जोर दिया।
इस प्रशिक्षण में भाग लेने वाले सभी 28 अभ्यर्थियों ने सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा किया और जैविक खेती में एक नया कदम बढ़ाने के लिए तैयार हुए। इस कार्यक्रम से न केवल जैविक कृषि को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि किसानों और युवाओं को वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन के व्यावसायिक अवसरों से भी जोड़ा जा सकेगा। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट