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सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त सुविधाओं की आलोचना की, कहा- लोग काम करने को तैयार नहीं

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों से पहले मुफ्त सुविधाओं की घोषणाओं पर चिंता जताते हुए बुधवार को कहा कि इससे लोग काम करने के प्रति उदासीन हो रहे हैं। न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने शहरी बेघर व्यक्तियों के आश्रय के अधिकार से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

न्यायमूर्ति गवई ने कहा, “दुर्भाग्य से, मुफ्त की इन सुविधाओं के कारण लोग काम करने के इच्छुक नहीं हैं। उन्हें मुफ्त राशन और बिना किसी श्रम के धनराशि मिल रही है।”
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने पीठ को जानकारी दी कि केंद्र सरकार शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है, जिसमें शहरी बेघरों के लिए आश्रय की व्यवस्था समेत विभिन्न मुद्दों का समाधान शामिल होगा।

पीठ ने अटॉर्नी जनरल को निर्देश दिया कि केंद्र सरकार से यह स्पष्ट किया जाए कि यह मिशन कितने समय में लागू किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई छह सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।

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