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नाटक भंवर के मंचन से एसआरएमएस रिद्धिमा में दिया गया जीवन का संदेश


बरेली,28 जुलाई। एसआरएमएस रिद्धिमा में कल रविवार (27 जुलाई 2025) की शाम नाटक भंवर का मंचन हुआ। डा. प्रभाकर गुप्ता द्वारा नाट्य रूपांतरित इस नाटक के संवाद अश्वनी कुमार ने लिखे और निर्देशन विनायक कुमार श्रीवास्तव ने किया। इस नाटक में कर्ज और उससे होने वाली परेशानी को दिखाया गया‌। इसकी कहानी छोटे शहर ने नौकरी करने बड़े आयी तान्या के इर्द गिर्द घूमती है। जो कर्ज से परेशान हो फांसी लगा जान देने की तैयारी कर रही होती है। उसी समय दरवाजे की घंटी बजती है। वह दरवाजा खोलती है और सामने एक डिलीवरी बॉय को देखती है। तान्या अनमने मन से उससे पार्सल लेती है और उसे वापस जाने को कहती है। लड़का प्यास लगने के कारण तान्या से पानी मांगता है। तान्या पानी लेने जाती है तभी लड़के की नजर कमरे में लगे पंखे से लटक रहे फांसी के फंदे पर पड़ती है। लड़़का तान्या से फांसी की वजह जानना चाहता है। तान्या बताती है कि वो लोन न चुका पाने के कारण फांसी लगाने जा रही है। वह बताती है कि कैसे पढ़ाई लिखाई के बाद छोटे शहर से निकल कर बड़े़ शहर में उसको एक अच्छी नौकरी मिली। आफिस में उसकी बॉस रिमझिम उसे आधुनिक लाइफ के लिए उकसाती है। उसके कहने पर तान्या बैंक से लोन लेकर बड़ा अपार्टमेंट, महंगा फोन, लग्जरी सामान और बड़ी कार खरीद लेती है। लाइफ स्टाइल बदलने के साथ वह शराब और ड्रग्स भी लेने लगती है। इसी बीच तान्या का बड़ा बॉस देवराज उसे नौकरी से निकाल देता है। तान्या बैंक की किस्त नहीं दे पाती है और इसके लिए वह एक प्राइवेट फाइनेंसर सुलतान से कर्ज लेती है। उसका भी ब्याज नहीं दे पाने से परेशान होकर वो फांसी लगाने की बात बताती है। इस पर डिलीवरी बॉय तान्या को अपनी कहानी सुनाता है। वो बताता है कि वह भी परेशान होकर आत्महत्या करने जा रहा था, तो उसके पिता ने उसे किस तरह बचाया। वो लड़का तान्या को प्रेरित करता है कि वो अपने पिता से बात करे। उस लड़के के समझाने पर तान्या अपने पापा से बात करती और बताती है कि लोन से परेशान होकर वह आत्महत्या करने जा रही थी। पापा उसे समझते है और उसका पूरा कर्ज उतारने को कहते है। वो समझाते है कि कभी अपने पिता से कोई बात नहीं छुपानी चाहिए। क्योंकि एक पिता ही है, जो अपने बच्चों की परेशानी दूर कर सकता है। उसके पिता एक संवाद बोलते है कि मैं तेरा बाप हूं, मुझसे नहीं कहेगी तो किससे कहेगी, मैं हूं ना। ये लाइन दर्शकों को रुला देती है। अंत में डिलिवरी बॉय तान्या को श्रीमद्भगवद्गीता की प्रति देता है और कहता है कि जब भी आप परेशान हों, तो इस ग्रंथ का पाठ करें। नाटक हर समस्या से लड़ने का संदेश देकर समाप्त हो जाता है। इसमें तान्या का मुख्य किरदार हरीम फातिमा और शहजिन खान निभाया। डिलीवरी बॉय की भूमिका में गौरव कार्की दर्शकों के सामने आए। सौरभ रस्तोगी, विषा गंगवार, हर्ष यादव, शिवा शर्मा, चंपा उपाध्याय, आशीष और विनायक श्रीवास्तव ने भी अपनी-अपनी भूमिकाओं में बेहतरीन अभिनय किया। अनमोल मिश्रा सूत्रधार के रूप में अपनी आवाज देकर मौजूद रहे। सूर्यकान्त चौधरी (वाइलिन), विशेष सिंह (गिटार) और अनुग्रह सिंह (की- बोर्ड) ने अपने वाद्ययंत्रों के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस अवसर पर एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देव मूर्ति जी, आशा मूर्ति जी, आदित्य मूर्ति जी, ऋचा मूर्ति जी, सुभाष मेहरा, गुरु मेहरोत्रा, डा. एमएस बुटोला, डा. मनोज टांगड़ी, डा. प्रभाकर गुप्ता, डा. अनुज कुमार, डा. शैलेश सक्सेना, डा.रीटा शर्मा और शहर के गणमान्य लोग उपस्थित रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट