तुर्किये में भूकंप का कहर : भूकंप से मरने वालों का आंकड़ा पहुंचा 15 हजार के पार, भारत ने चलाया ऑपरेशन ‘दोस्त’
तुर्किये. तुर्किये और सीरिया में भूकंप के चलते जान गंवाने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। नए आंकड़ों के अनुसार, अब तक 15 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। घायलों की संख्या 80 हजार से भी अधिक हो गई है। अभी बड़ी संख्या में लोग मलबे के नीचे फंसे हुए हैं। ऐसे में मृतकों और घायलों की संख्या में कई गुना ज्यादा बढ़ोतरी हो सकती है।
इस बीच, तुर्किये के अलग-अलग शहरों में बार-बार भूकंप के झटके भी महसूस किए जा रहे हैं। यूनाइटेड स्टेट जियोलॉजिकल सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, रात में 12 बजे के बाद से सुबह सात बजकर 14 मिनट के बीच पांच बार अलग-अलग समय पर भूकंप के झटके आए। इनकी तीव्रता 4.4 से 4.5 के बीच रही।
उधर, भारत ने तुर्किये में भूकंप प्रभावित लोगों की मदद के लिए ‘ऑपरेशन दोस्त’ चलाया है। इसके जरिए भारत ने तुर्किये के लोगों की मदद तेज कर दी है। सेना, एयरफोर्स के जवान, एनडीआरएफ ऑर डॉक्टर्स की टीम तुर्किये भेजी गई है। बड़े पैमाने पर राहत सामग्री भी भेजी गई है। आइए जानते हैं दोनों देशों में अभी क्या हालात हैं? राहत-बचाव कार्य कैसे चल रहा है? भूकंप प्रभावित इलाकों में हालात कैसे हैं? लोगों का क्या कहना है?
तुर्किये सरकार की ओर से जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक यहां 12 हजार 391 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 62 हजार 914 लोग घायल बताए जा रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में ऐसे भी हैं, जिनकी हालत काफी गंभीर है। वहीं, सीरियाई सरकार के अनुसार, देश में अब तक 2,992 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 1730 लोगों की मौत नॉर्थ वेस्ट के अलागवादी क्षेत्रों में हुई है, जबकि 1262 मौतें सरकार के कब्जे वाले इलाके में। 10 हजार से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं।
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने बुधवार को राहत-बचाव के काम में सरकार की कमियों को स्वीकार किया। कहा कि राहत-बचाव कार्य में तेजी लाने के लिए हर प्रयास किए जा रहे हैं। दुनिया के अन्य देशों से मदद भी मिल रही है। सबके प्रयास से देश को इस संकट से उबारेंगे। तुर्किये सरकार के अनुसार, बारिश और ठंड के मौसम के चलते राहत कार्य प्रभावित हुए हैं, लेकिन फिर भी कोशिशों में तेजी लाई गई है।
तुर्किये और सीरिया में हालात बेहद खराब हो चुके हैं। हजारों की संख्या में लोगों के घर जमींदोज हो गए। लोग बेघर हो गए। बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई और कई ऐसे हैं जो अभी भी जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहे हैं। इस बीच, जो जिंदा बच गए उनकी हालत भी काफी दयनीय हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार, बेघर हो चुके लोगों को कड़कती ठंड में सड़कों पर रात गुजारना पड़ रहा है। सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं दी जा रही है। न खाने को है और न ठंड से बचने का कोई उपाय। लोग भूखे-प्यासे दिनरात अपनों की तलाश में जुटे हैं। गजियानटेप में इस समय मौसम -5 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है।
तुर्की और सीरिया दोनों ही जगह इस समय जमकर ठंड पड़ रही है। इस खून जमा देने वाली सर्दी ने राहत और बचावकार्य को बाधित किया है। सर्दी की वजह से यह उम्मीद भी खत्म होती जा रही है कि मलबे में कोई जिंदा बचा होगा। फिर भी मलबे में लोग अपनों की तलाश में जुटे हैं। लोगों को उम्मीद है कि मलबे के अंदर भी अभी लोगों की जान बची है। यही कारण है कि सरकारी मदद न मिलने के बावजूद लोग दिनरात अपने हाथों से मलबे हटाने में जुटे हैं।