विश्व जल दिवसः वित्तीय वर्ष 2024 में वेदांता एल्यूमिनियम ने लगभग 15 अरब लीटर पानी रिसाइकल किया
अपने प्रचालन क्षेत्रों के आसपास कंपनी ने 60 सामुदायिक जलाशयों को दिया नव जीवन
’शांति के लिए जल’ थीम के साथ जब इस साल विश्व जल दिवस मनाया जा रहा है, तो ऐसे में भारत की सबसे बड़ी एल्यूमिनियम उत्पादक वेदांता एल्यूमिनियम का योगदान भी उल्लेखनीय है, जिसने वित्तीय वर्ष 2024 के दौरान अपने प्रचालनों में लगभग 15 अरब लीटर पानी को रिसाइकल किया है। गौर करने वाली बात है कि यह जल राशि ओलम्पिक आकार के 6000 स्विमिंग पूल्स के बराबर है। सिर्फ यही नहीं, बल्कि कंपनी ने इसी समयावधि में अपने प्रचालनों के इर्द-गिर्द ग्रामीण इलाकों में 60 से अधिक जलाशयों की बहाली में भी सहयोग किया है। कोरबा, छत्तीसगढ़ में 47; झारसुगुडा, ओडिशा में 10 तथा लांजिगढ़, ओडिशा में 3 जलाशयों को पुनः जीवित कर के कंपनी ने साबित किया है कि वह जल-सक्षम समुदायों के निर्माण हेतु प्रतिबद्ध है। कंपनी का इरादा है 2030 तक नैट वॉटर पॉजिटिव बनना, और इस दिशा में काम करते हुए ताजे पानी के स्त्रोतों के दोहन में कंपनी ने 11 प्रतिशत की अहम कटौती हासिल की है।
इस मौके पर कंपनी ने अपने तीन बड़े जल प्रबंधन कार्यक्रमों का भी अनावरण किया जो प्रगति पर हैं। लांजिगढ़ स्थित विश्व स्तरीय एल्यूमिना रिफाइनरी; जमखानी, सुंदरगढ़, ओडिशा स्थित खनन प्रचालन तथा कोरबा, छत्तीसगढ़ स्थित वेदांता एल्यूमिनियम की इकाई व भारत की आईकॉनिक एल्यूमिनियम उत्पादक बाल्को- इन तीन स्थानों पर ये जल प्रबंधन पहलें हुई हैं।
पहले कार्यक्रम का नाम है ’संगम’ जो एक इंटिग्रेटिड वॉटरशैड एवं आजीविका प्रोजेक्ट है, जिसे प्रौद्योगिकी के बल पर बनाया गया है। इसके तहत सहभागी तरीके से ग्रामीण समुदायों की आजीविका बढ़ाई जाएगी। इस प्रोजेक्ट का लक्ष्य है लांजिगढ़, कालाहांडी, ओडिशा के 41 गांवों में जल-आधारित सम्पत्तियों की रचना करना, ताकि लोगों को पूरे वर्ष भर पीने व खेती-बाड़ी के लिए पानी उपलब्ध रहे। इस प्रोजेक्ट की वजह से इस इलाके में 3500 एकड़ से अधिक कृषि भूमि में सिंचाई हो सकेगी, क्योंकि इससे जल भंडारण क्षमता व भूजल पुनर्भरण दर में वृद्धि होगी, इस प्रकार पूरे साल 22,000 से ज्यादा लोग लाभान्वित होंगे।
जमखानी माइंस में संवहनीय जल प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए वर्षाजल भंडारण सुविधाएं दी गई हैं, जिनमें 2 तालाब शामिल हैं, जिनकी सालाना धारण क्षमता 1.4 लाख क्यूबिक मीटर है। ये तालाब बारिश के पानी को रोकने व सहेजने का महत्वपूर्ण काम करेंगे और सूखे के वक्त पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे एवं भूजल पुनर्भरण में मददगार होंगे।
बाल्को में प्रचालनों के भीतर क्लैरिफायर एवं फिल्ट्रेशन सिस्टम इंस्टॉल किया गया है। यह सिस्टम कोयल मिश्रित पानी को ट्रीट कर सकता है। इससे प्लांट के भीतर सालाना 14.6 लाख क्यूबिक मीटर जल का ट्रीटमेंट होगा और फिर उसे दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सकेगा। कंपनी के प्रचालनों में फ्लाई ऐश हैंडलिंग प्लांट में रिसर्कुलेशन द्वारा ऐशवाटर निकलता है, कंपनी ने इसका इस्तेमाल करते हुए पानी की खपत को कम किया है, इस प्रकार सालाना 10 लाख क्यूबिक मीटर पानी की बचत होती है।
कुशल जल प्रबंधन हेतु कंपनी की प्रतिबद्धता के बारे में वेदांता एल्यूमिनियम के सीईओ श्री जॉन स्लेवन ने कहा, ’’संवहनीय भविष्य की हमारी सोच इस तथ्य से जुड़ी है कि पृथ्वी को कायम रखने के लिए पानी परम आवश्यक संसाधन है। इसलिए कुशल जल प्रबंधन विधियों के जरिए 2030 तक नैट वाटर पॉजिटिविटी हासिल के लिए हम प्रतिबद्ध हैं, जो कि समुदायों और औद्योगिक प्रचालनों को बरकरार रखने के लिए बेहद जरूरी है। जल संरक्षण और हमारे मौजूदा जल स्त्रोतों को पोषित करने के विषय पर हम व्यापक स्तर पर जागरुकता फैलाने का काम भी कर रहे हैं।’’
बेहतर जल प्रबंधन के वैश्विक आह्वान के अनुसार वेदांता एल्यूमिनियम ने कई गतिविधियां आयोजित कीं, जिनका उद्देश्य जिम्मेदार जल प्रबंधन को बढ़ावा देना एवं कंपनी के सभी प्रचालनों में जल संरक्षण की जरूरत के प्रति जागरुक बनाना था। इस साल छत्तीसगढ़ व ओडिशा में अपने प्रचालनों में कंपनी ने 60 सामुदायिक तालाब खोदे, साफ किए और उन्हें गाद-मुक्त किया, इनमें 6 चैक-डैम भी थे। यह कार्य सामुदायिक भागीदारी से हुआ और बाद में इन जलाशयों को ग्राम पंचायतों को सौंप दिया गया।
इनके अलावा अन्य गतिविधियां भी हुईं, जैसे विशेषज्ञ की अगुआई में जल प्रबंधन पर वेबिनार, तत्पश्चात् कंपनी की जल संरक्षण एवं उपयोग योजनाओं पर कार्यशाला। कर्मचारियों ने जलाशय जीर्णोद्धार प्रयासों में स्वयंसेवा दी, इस मौके पर मौजूदा वर्षा जल संचयन ढांचों को नया जीवन दिया गया। इसके अतिरिक्त कुछ दिलचस्प गतिविधियां भी हुईं, जैसे स्कूलों में लघु फिल्म का प्रदर्शन, प्रश्नोत्तरी, नारा लेखन व पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिताएं समुदाय के लोगों व कर्मचारियों के बीच अधिक से अधिक जागृति आए। कृषि प्राधिकरणों के साथ मिलकर स्थानीय किसानों को दक्ष सिंचाई पद्धतियों की जानकारी प्रदान की गई। संवहनीय अभ्यास हेतु सम्मिलित संकल्प के साथ जल संरक्षण पर सामुदायिक रैलियां भी निकाली गईं।