एसआरएमएस मेडिकल कालेज में चिकित्सकों से समाज की अपेक्षाएं विषय पर व्याख्यान
बरेली, 24 नवम्बर ।नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) ने नए विद्यार्थियों को मेडिकल फील्ड से संबंधित समाज से जुड़े विभिन्न विषयों की जानकारी देने के लिए फाउंडेशन कोर्स लागू किया है। एक महीने के इस फाउंडेशन कोर्स में एमबीबीएस की पढ़ाई आरंभ होने से पहले विद्यार्थियों को विभिन्न जानकारियां दी जानी हैं। इसी के तहत एसआरएमएस मेडिकल कालेज में चिकित्सकों से समाज की अपेक्षाएं विषय पर मोटिवेशनल लेक्चर आयोजित हुआ। जिला उपभोक्ता अदालत के अध्यक्ष घनश्याम पाठक और बरेली कालेज के पॉलिटिकल साइंस विभाग की प्रोफेसर (डा.) वंदना शर्मा ने चिकित्सकों से समाज की अपेक्षाएं विषय पर पर एमबीबीएस बैच 2022 के विद्यार्थियों से बात की। दोनों ने कहा कि लोगों को भगवान से जितनी अपेक्षाएं हैं उससे कम चिकित्सकों से भी नहीं। लोग करीबी परिजनों के बाद सबसे ज्यादा चिकित्सक पर ही विश्वास करते हैं। कोविड महामारी ने यह साबित भी कर दिया। इसी से चिकित्सकों को धरती पर भगवान का दर्जा दिया जाता है। आज के दौर में समाज की अपेक्षाओं के साथ गूगल डॉक्टर से निपटना चिकित्सकों के लिए बड़ी चुनौती है। लेकिन मानवीय गुणों और योग्यता से सभी चुनौतियों से निपटना संभव है। इससे सफल चिकित्सक बना जा सकता है।
घनश्याम पाठक ने विद्यार्थियों को समाज की अपेक्षाओं से अवगत कराया और सफल चिकित्सक बनने के लिए टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि परिश्रम, योग्यता और अनुभव सफल चिकित्सक बनने के लिए जरूरी है। लेकिन यह पर्याप्त नहीं। सफल चिकित्सक के लिए इसके साथ ही सेवाभाव, कर्तव्य, विनम्रता, उत्साह, अपनत्व, संयम, नैतिकता और सकारात्मक दृष्टिकोण भी जरूरी है। समाज में इन्हीं गुणों के आधार पर चिकित्सक का आंकलन किया जाता है। यही मानवीय गुण समाज में चिकित्सक की अलग पहचान के साथ सफल बनाते हैं। पाठक ने कई उदाहरणों द्वारा विद्यार्थियों को चिकित्सक और मरीज के संबंधों और कानून की भी जानकारी दी। डा.वंदना शर्मा ने गूगल डॉक्टर के दौर में घट रहे चिकित्सकों के विश्वास पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज मरीज ज्यादा जागरूक है। बीमारी की जानकारी वह गूगल से हासिल कर लेता है। ऐसे में चिकित्सकों को गूगल से ज्यादा खुद को विश्वसनीय बनाना होगा। घटती हुई विश्वसनीयता ही सबसे बड़ी समस्या है। मरीज से सही संवाद स्थापित कर अधिक दायित्व निभाना होगा। श्रेष्ठ नागरिक के गुणों को अपना कर विश्वसनीयता कायम की जा सकती है। इन्हीं गुणों से चिकित्सक को भगवान का दर्जा मिलता है। आज भी व्यक्ति परिजनों के बाद सबसे ज्यादा चिकित्सकों पर विश्वास करते हैं। बस इसे बढ़ाइए। सेवा के पेशे को उद्योग न बनाने का संकल्प लें। यही सफलता की कुंजी है। इससे पहले बाल रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर (डा.) संध्या चौहान ने सभी का स्वागत किया और कार्यक्रम के संबंध में जानकारी दी। प्रिंसिपल डा.एसबी गुप्ता ने स्मृति चिह्न देकर अतिथियों का स्वागत किया। इस मौके पर एसआरएमएस ट्रस्ट के एडवाइजर इंजीनियर सुभाष मेहरा, डीएसडब्ल्यू डा.क्रांति कुमार, डा.जसविंदर सिंह, डा.हुमा खान सहित तमाम फैकेल्टी भी मौजूद रहे।
बरेली से ए सी सक्सेना ।