एसआरएमएस रिद्धिमा में गुरु अंबाली प्रहराज के निर्देशन में भारत की प्राचीन नृत्य शैली भरतनाट्यम का अद्भुत प्रदर्शन
बरेली , 28 अगस्त। एसआरएमएस रिद्धिमा में कल भारत की प्राचीन नृत्य शैली भरतनाट्यम पर इसके विद्यार्थियों ने प्रतिभाशाली प्रस्तुति दी। गुरु अंबाली प्रहराज के निर्देशन में सभी ने नटराज सरीखा अद्भुत प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का आरंभ शिव स्रोत और गणेश वंदना से हुआ। विद्यार्थियों ने संतुलित भावभंगिमाओं से इसे अविश्वसमरणीय बना दिया। भरतनाट्यम के विद्यार्थियों ने जतिस्वरम में स्वर, राग और ताल के संतुलन को प्रदर्शित किया। वहीं वरनम में अभिनय के साथ भरतनाट्यम के तकनीकी पक्ष को नृत्य के माध्यम से दर्शकों के सामने रखा। शब्दम में स्वर को महत्व देते हुए नृत्य किया। जबकि कीर्तनम में नृत्य के जरिये भगवान की स्तुति की। विद्यार्थियों ने तिल्लाना में भरतनाट्यम के तकनीकी पक्ष को उभारते हुए अभिनय के साथ नृत्य किया। भरतनाट्यम गुरु अंबाली प्रहराज ने भरतनाट्यम के बारे में जानकारी दी। बताया कि कैसे मंदिरों में देवदासी के माध्यम से आरंभ हुई और इसने दासीअट्टम नाम पाया। समय अंतराल के साथ यह समाज में स्वीकृत हुई और भरतनाट्यम के रूप में सुविख्यात भी। विद्यार्थियों की नृत्य शैली का विवरण देने के साथ उन्होंने भरतनाट्यम की विकास यात्रा का भी वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भरतनाट्यम को आधुनिक रूप देने का श्रेय तमिलनाडु की सुप्रसिद्ध नृत्यांगना ईकृष्णा अय्यर और रुक्मणी देवी को जाता है। उन्होंने इस नृत्य की आधुनिक रूप दिया और समाज मे इसे मान्यता दिलवाते हुए स्वीकार्यता दिलाई। भरतनाट्यम के विद्यार्थी सताक्षी, मायरा, तानिशी, काव्या, भाव्या, संस्कृति, आद्या, शाम्भवी ने कोलकता से आए अतिथि सुकुमार जी कुट्टी के स्वर और मलय कुमार डे के मृदंगम पर श्रेष्ठ प्रदर्शन कर गुरुओं के साथ उपस्थित दर्शकों की दिल जीत लिया। इस मौके पर एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देव मूर्ति जी, ट्रस्टी आशा मूर्ति जी, आदित्य मूर्ति जी, सुभाष मेहरा, सुरेश सुंदरानी, डा.प्रभाकर गुप्ता, डा.अनुज कुमार सहित शहर के गण्यमान्य लोग मौजूद रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट