निजीकरण के विरोध में नैनीताल बैंक कर्मचारियों का उग्र प्रदर्शन

बरेली , 16 दिसम्बर ।निजीकरण के विरोध में नैनीताल बैंक के कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने व्यापक रोष प्रदर्शन किया है । आज देश भर की 167 ब्रांचों मे कर्मचारियों ने काली पट्टी बांधकर अपना रोष व्यक्त किया है । देश भर से कर्मचारियों ने नैनीताल मुख्यालय पहुन्च कर वहां घेराव किया एवं आज होने वाली ए जी एम को भी स्थगित करा दिया । नैनीताल बैंक की स्थापना वर्ष 1922 में पहाड़ी अंचल के लोगों को बैंकिंग सुविधा प्रदान करने के लिए की गई। बैंकों के राष्ट्रीयकरण के दौर के पश्चात 1973 में बैंक ऑफ बड़ौदा को नैनीताल बैंक के प्रबंधन का दायित्व सौंपा गया। लगभग 50 वर्षों तक नैनीताल बैंक का प्रबंधन संभालने के उपरांत 2018 में बैंक ऑफ बड़ोदा द्वारा नैनीताल बैंक के विनिवेश की असफल प्रयास किया गया, जिसके चलते नैनीताल बैंक ऑफिसर एसोसिएशन संसद तक गई और तत्कालीन माननीय सांसद श्री भगत सिंह कोश्यारी जी के दखल के बाद उस समय इस पर रोक लगा दी गई।
कालांतर में, कोरोना महामारी के बाद पुनः इस दिशा में बॉब के द्वारा कुप्रयास किया गया और बीते 13 दिसंबर को बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा एकाएक पुनः विनिवेश की घोषणा से नैनीताल बैंक से जुड़े सभी कर्मचारी व ग्राहक स्तब्ध व चिंतित हैं। विगत 50 वर्षों से निरंतर मुहबनाफे में चल रहे इस बैंक के विनिवेशीकरण का प्रयास पूर्व में भी किया जा चुका है, जिसको बैंक के सभी कर्मचारियों व अन्य शेयरहोल्डर्स द्वारा विफल कर दिया गया था। बैंक कर्मचारियों के अधिकारी व अवॉर्ड स्टाफ संगठनों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि बैंक ऑफ बड़ौदा के इस कदम का पुरजोर विरोध किया जाएगा व कर्मचारियों के हितों की रक्षा हर हाल में की जाएगी, साथ ही उन्होंने बैंक के ग्राहकों को भी आश्वस्त किया है कि उनकी जमापूंजी बैंक में सुरक्षित है व उन्हें किंचित घबराने की आवश्यकता नहीं है। इस विषय पर बात करने पर नैनीताल बैंक ऑफिसर एसोसिएशन के पदाधिकारी श्री प्रखर पाटनी जी ने कहा है कि, बॉब के इस कदम से नैनीताल बैंक से जुड़े स्थाई और अस्थायी आफिसर-कर्मचारियों औऱ उनके 1000 परिवारों की रोजी रोटी पर संकट के बादल गहरा गए है।
बरेली से ए सी सक्सेना ।

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