उत्तर प्रदेश

आईवीआरआई द्वारा विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ इंटरफेस मीट का संस्थान के बंगलूरु परिसर में आयोजन

बरेली ,05 सितम्बर। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान द्वारा विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ इण्टरफेस मीट संस्थान के बंग्लूरू परिसर में कल आयोजित की गयी जिसमें 12 उद्योग प्रतिनिधियों सहित 170 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। संस्थान द्वारा इस सत्र की यह दूसरी इण्टरफेस बैठक है जिसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी के तेजी से विकास और प्रसार को सुविधाजनक बनाने के लिए उद्योग और शोधकर्ताओं के बीच सामंजस्य स्थापित करना था। बैठक को तीन सत्रों में आयोजित किया गया था जिसमें उद्घाटन सत्र, तकनीकी सत्र और पैनल चर्चा शामिल थी।
इस अवसर पर आईवीआरआई के निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त ने कई बीमारियों के उन्मूलन, पशु स्वास्थ्य और उत्पादन के प्रबंधन में आईवीआरआई के उल्लेखनीय योगदान के बारे में जानकारी दी। आईवीआरआई ने संयुक्त रूप से एलएसडी वैक्सीन (लम्पी प्रोवाक) को राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, हिसार के साथ विकसित करके महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डा. दत्त ने थर्मोस्टेबल एफएमडी वैक्सीन, जीन मार्कर एफएमडी वैक्सीन और एफएमडी वैक्सीन पोटेंसी परीक्षण के लिए एक वैकल्पिक मॉडल के विकास के बारे में विशेष उल्लेख किया तथा जल्द ही उपलब्ध कराई जाने वाली प्रौद्योगिकियों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आईवीआरआई के आईपी पोर्टफोलियो में 32 पेटेंट शामिल हैं तथा 44 तकनीकों का वाणिज्यकरण हो चुका है।
संस्थान की संयुक्त निदेशक, प्रसार शिक्षा डॉ. रूपसी तिवारी ने आईवीआरआई की गतिविधियों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त संस्थान के आईटीएमयू प्रभारी डा. अनुज चौहान ने आईवीआरआई प्रौद्योगिकियों जैसे कि लम्पि प्रो वेक, आई बी डी वैक्सीन, डक प्लेग वैक्सीन और एफएमडी के लिए ब्लाकिंग एलिसा, पीपीआर के लिए प्रतिस्पर्धी एलिसा, ब्लूटंग के लिए एलिसा, और जापानी एन्सेफलाइटिस, और एम तपेदिक, मल्टीप्लेक्स पीसीआर तथा चिकित्सा में प्रयोग होने वाली हर्बल अकैरिसाइड, मस्टिकुर, फर्टिसोर, एमएससी सीएम आधारित निर्माण आदि के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की। सभी प्रतिभागी उद्योगों ने आईवीआरआई द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों में गहरी रुचि व्यक्त की।
तकनीकी सत्र में डॉ. पल्लव चौधरी और डॉ. पी. धर ने उद्योग जगत के हेस्टर बायोसाइंसेज, इंडियन इम्यूनोलोजिकल्स, बायोवेट, सेेन्विटा बायोटेक्नोलॉजी, वेस्पर फार्मा, ब्रिलियंेट बायोफार्मा, इंटास फार्मास्युटिकल्स और वेंटरी बायोलॉजिकल का परिचय कराया। इसके अलावा, डॉ. बी. पी. श्रीनिवास ने अपनी प्रस्तुति में उद्योग-एकादमिया अंतर पर प्रकाश डाला।
सभी उद्योगों ने आईवीआरआई प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से पोल्ट्री टीकों, सहयोगात्मक अनुसंधान, शिक्षण को मजबूत बनाने, प्रयोगशाला बुनियादी ढांचे और सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों में रुचि व्यक्त की है। हेस्टर बायोसाइंस, इंटास और बायोवेट ने छात्रों को फैलोशिप देने की इच्छा जाहिर की है। इसके अलावा, सेेन्विटा जैव प्रौद्योगिकी और इंडियन इम्यूनोलोजिकल्स ने आईवीआरआई में उद्योग चेयर के वित्तपोषण में रुचि दिखाई है। अधिकांश उद्योग आईवीआरआई छात्रों के लिए कैंपस प्लेसमेंट अभियान शुरू करने के लिए उत्साहित थे।
संस्थान के संयुक्त निदेशक कैडराड डॉ. के. पी. सिंह, संयुक्त निदेशक, शोध डॉ. एस. के. सिंह और संयुक्त निदेशक, शैक्षणिक डॉ. एस. के. मेंदीरत्ता ने अनुबंध और सहयोगात्मक अनुसंधान, उद्योग-अकादमिक के बीच विश्वास और पारदर्शिता और नए स्नातकों और स्नातकोत्तरों के लिए परिसर भर्ती आयोजित करने पर जोर दिया।
इंडियन इम्यूनोलोजिकल्स के डॉ. पी. पटनायक ने अपने कंपनी पोर्टफोलियो को प्रस्तुत किया और सुझाव दिया कि प्रौद्योगिकी की कीमत तय करते समय सामग्री की लागत, स्केलिंग आदि पर विचार भी किया जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने आईवीआरआई में एक पायलट संयंत्र स्थापित करने का सुझाव दिया, हेस्टर बायोसाइंसेज के श्री राजीव गांधी ने बताया कि आईवीआरआई उनका सबसे बड़ा प्रौद्योगिकी भागीदार है और उन्होंने समुदाय विकास कार्यक्रमों के लिए फैलोशिप, प्लेसमेंट, एक्सपोजर ट्रेनिंग और सीएसआर फंड प्रदान करने की पेशकश की।
बायोवेट के डॉ. किलारी ने कहा कि आईवीआरआई के युवा शोधकर्ताओं की भर्ती में रुचि व्यक्त की। एमएसडी-पशु स्वास्थ्य के डॉ. बृजेश सिंह ने छात्रों और सीएसआर फंड के लिए फैलोशिप प्रदान करने की पेशकश की।
उद्योग भागीदारों ने विकसित उत्पादों की नियामक मंजूरी के लिए सीडीएससीओ को शामिल करने का सुझाव दिया और आगे प्रौद्योगिकियों के मूल्य निर्धारण का निर्णय करने के लिए उद्योगों की मदद लेने का सुझाव दिया। इसके अलावा, उन्होंने नए स्नातकों की कैंपस भर्ती कराने पर भी सहमति जताई। उन्होंने कुक्कुट हेतु टीके कैनाइन स्वास्थ्य, प्रजनन तकनीक और पोषण पूरक में भी रुचि व्यक्त की। डॉ. के. नारायणन ने कार्यक्रम का संचालन किया और डॉ. वी. उमापति ने धन्यवाद ज्ञापित किया। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट