उत्तर प्रदेश

आईवीआरआई में दस दिवसीय उच्च- स्तरीय कार्यशाला का शुभारम्भ

बरेली ,13 मार्च। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर के जीवाणु एवं कवक विज्ञान विभाग में “हैंड्स ऑन ट्रेनिंग ऑन बेसिक एंड एडवांस्ड टेक्निक्स फॉर बैक्टीरियल एंड फंगल डिजीज डायग्नोसिस” पर एक दस दिवसीय डीएसटी-एसईआरबी प्रायोजित उच्च-स्तरीय कार्यशाला का कल शुभारम्भ हुआ। इस कार्यशाला में देश के विभिन्न भागों, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश उतराखंड, पंजाब राजस्थान, हिमांचल प्रदेश,नई दिल्ली, पुंडुचेर्री सहित 15 विश्वविद्यालयो एवं राष्ट्रीय संस्थानो से मास्टर्स और पीएचडी के कुल 20 छात्र (दस छात्र एवं दस छात्राये ) शामिल हुए हैं।

कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने कार्यशाला के विषय पर प्रसन्नता व्यक्त की और विज्ञान संबंधी तकनीकों के विभिन्न पहलुओं पर अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे कार्यशाला में सक्रिय भाग लें और संस्थान के अनुभवी शिक्षकों से सीखें और इन सीखों को अपने शोध कार्यक्रम में शामिल करें। डॉ त्रिवेणी दत्त ने कहा कि संस्थान नई शिक्षा नीति को लागू कर निर्देशों का पालन कर रहा है तथा संस्थान के कई विभागों द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है डॉ दत्त ने ग्लोबल यूनिवर्सिटी बनाने तथा विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा विकसित करने तथा अंतराष्ट्रीय नेटवर्क को बड़ाने तथा शिक्षा के डिजिटलीकरण पर ज़ोर दिया। उन्होने समय समय पर पाठ्यक्रम के पुनरीक्षण कि आवश्यकता तथा शोधों को हितधारकों, राज्य कि आवश्यकता के अनुसार करने कि बात कही।

इस अवसर पर व्याख्यान युक्त एक ई-मैनुअल का भी विमोचन संस्थान के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त, संयुक्त निदेशक (केडराड) डॉ. के.पी. सिंह, संयुक्त निदेशक (शैक्षर्णिक), डॉ एस. के. मेंदीरत्ता, विभागाध्यक्ष बी एंड एम, डॉ. पी. दंडापत की उपस्थिति में किया गया ।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक (ई.क्यू.ए.एंड आर.) डॉ. अजीत सिंह यादव ने कहा कि आईवीआरआई नई शिक्षा नीति का पालन तो कर ही रहा है साथ ही साथ यह बहुत अच्छी लीड ले रहा है। संस्थान के विश्व विद्यालय द्वारा हमारे छात्रों के लिए कई कोर्स शुरू किए गए है । साथ साथ यहाँ के वैज्ञानिकों ने गुणवत्ता युक्त टीकों के भी निर्माण किया है । उन्होने कहा कि नई शिक्षा नीति का मुख्य फोकस शिक्षा को फ्लेकसिबल तथा छात्रों में कौशल निर्माण करना है।

इस अवसर पर जीवाणु एवं कवक विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पी. दंडापत ने कार्यशाला में विभिन्न परम्परागत एवं नई तकनीकों पर प्रतिभागियों को अनुभव प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया। इस कार्यशाला में पारंपरिक और उन्नत जीवणुकीय तकनीकों जैसे बेसिक ऑफ़ बैक्टीरिया एंड फंगस हैंडलिंग, गुड लेबोरेटरी प्रैक्टिसेज, लेबोरेटरी बायो-सेफ्टी एवं बायो-सिक्योरिटी, रिस्क ग्रुप एनालिसिस, सैंपल कलेक्शन, ट्रांसपोर्टेशन एंड प्रोसेसिंग ऑफ़ क्लीनिकल सैम्पल्स, आइसोलेशन, कल्टीवेशन, एवं शुद्धिकरण ऑफ बैक्टीरिया एवं फंगस, माइक्रोस्कोपी एंड मिक्रोमेट्री, एंटी बैक्टीरियल सवेदनशीलता परीक्षण, फेज टाइपिंग पी सी आर, रियल टाइम पी सी आर, पेज, क़्वालिटी कण्ट्रोल ऑफ़ बैक्टीरियल वैक्सीन्स एंड डायग्नोस्टिक्स और कटिंग-एज तकनीक जैसे पी एस आर, क्रिस्पर कैस, ड्रापलेट डिजिटल पी सी आर, पी एस आर, एल ऐ एम पी (लैंप), एडवांस्ड स्टैटिस्टिकल मेथड्स , कनफोकल माइक्रोस्कोपी, एन ज़ी एस प्लैटफॉर्म्स, बैक्टीरियल जीनोम असेंबली एवं इन सिलिको विरुलेन्स एंड ए एम आर प्रिडिक्शन्स इमेजिंग आदि नैदानिक तकनीकों पर सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक जानकारी प्रदान कि जाएगी ।

इस कार्यक्रम के स्वागत भाषन में कार्यशाला के पाठ्यक्रम निदेशक डॉ अभिषेक ने कार्यशाला के बारे में संक्षिप्त रूप रेखा दी। साथ ही इस वर्कशॉप में होने वाले लेक्चर और प्रैक्टिकल के बारे में भी बताया। डॉ. अभिषेक ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जीवाणु एवं कवक विज्ञान विभाग के अलावा जैविक उत्पाद,जैविक मानकीकरण, बायोटेक्नोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, पैथोलॉजी, फिजियोलॉजी, इम्यूनोलॉजी, वेटरनरी पब्लिक हेल्थ, और एपिडेमियोलॉजी के संकाय सदस्य भी शामिल हैं। तीन व्याख्यान विदेशी विशेषज्ञों द्वारा भी इस कार्यशाला के दौरान ऑन लाइन माध्यम से दिए जायँगे इनमे दो विशेषज्ञ इटली से एवं एक विशेषज्ञ पेरिस से अपना ज्ञान ट्रेनिंग के छात्रों से साझा करेंगे।इसके अलावा, प्रत्येक तकनीकी सत्र को एक परिचयात्मक भाग के लिए डिज़ाइन किया गया है ताकि छात्र अपने हाथों के द्वारा खूद नैदानिक तकनीक के बुनियादी सिद्धांतों को समझने में सक्षम हों।

इस दस दिवसीय कार्यशाला का समन्वय डॉ. अभिषेक, डॉ प्रसाद थॉमस, डॉ बबलू कुमार, डॉ अथिरा वी और डॉ. पी. दंडापत के देखरेख में होगा।

कार्यशाला का संचालन डॉ. हिमानी धांजे द्वारा किया गया जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ प्रसाद थॉमस द्वारा दिया गया । इस अवसर पर विभागाध्यक्ष विक्र्ति विज्ञान विभाग डॉ आर एस पवेय्या, डॉ. शुभाश्री बंधोपाध्याय, डॉ किरण भिलेगाँवकर, डॉ वी के चतुर्वेदी, डॉ बी आर सिंह, डॉ. रविकान्त अग्रवाल, डॉ ज्ञानेन्द्र सिंह तथा डॉ रजत गर्ग और अन्य संकाय सदस्य उपस्थित रहे । बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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