आखिर क्यों होता है टायर का रंग ब्लैक? दिलचस्प है इसके पीछे की वजह
नई दिल्ली: अक्सर हम देखते हैं कि हर तरह की गाड़ी महंगी हो या सस्ती उसके टायर का रंग हमेशा काला ही होता है। जबकि, शुरुआती दौर में इस्तेमाल होने वाले टायर्स (tyres) का रंग हल्का होता था। क्या आपने कभी सोचा कि क्यों टायर का रंग काला होता है। आज हम आपको बताएंगे कि क्यों टायर का रंग काला होता है।
बता दें कि पहले कारों में इस्तेमाल होने वाले टायर्स का रंग मटमैला या ऑफ व्हाइट होता था, लेकिन बाद में टायर का निर्माण करने वाली कंपनियों ने इसे तैयार करने की प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले केमिकल में बदलाव कर दिया। जिसके बाद उसका रंग बदल गया और काला हो गया। रिपोर्ट के अनुसार, जिस प्राकृतिक रबर से टायर बनाए जाते हैं उसका रंग मटमैला सफेद होता था। टायर को मजबूत बनाने के लिए इसमें जिंक ऑक्साइड का इस्तेमाल किया जाता था, जिससे इसे मजबूती मिलती थी।
मार्केट में काले टायर आने की शुरुआत 1917 में हुई थी। टायर निर्माण करने वाली कंपनियों ने टायर्स को और बेहतर बनाने के लिए ये बदलाव किया। उस दौर में टायर का निर्माण करने के लिए कार्बन का इस्तेमाल करना शुरू किया गया है, जिसके कारण टायर का रंग बदलकर काला हो गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, टायर को मजबूत करने के लिए इसमें कार्बन मिलाया गया। दरअसल, सूरज की धूप से निकलने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों के कारण रबर के टायरों में दरारें आ जाती थीं, इसलिए टायर में कार्बन मिलाया गया, जो कि अल्ट्रावायलेट किरणों को ब्लॉक करने का काम करने लगा। इसके अलावा टायर में कार्बन मिलाने से टायर की लाइफ भी बढ़ गई और टायर के फटने का भी खतरा कम हो गया।