कभी बूढ़ा पिता DM के एक साइन के लिए खाता था ठोकर, आज खुद अपने बेटी को बना दिया DM

UPSC/IAS Motivational Story: आज हम आपको एक ऐसे कलेक्टर के बारे में बताने जा रहें है, जिसने अपने पिता की मुश्किलों का समाधान करने के लिए इतनी मेहनत और पढ़ाई की, जिससे वो सिविल की परीक्षा पास करने में सफल हो गयी. अपनी सफलता के लिए उसने अपने पिता जी का ही हाथ बताया.

हम बात करने जा रहें है महाराष्ट्र की रोहिणी भाजीभाकरे की, जिसने मात्र नौ साल की उम्र में ही ठान लिया था की मैं अपने जीवन में कुछ ऐसा करुँगी जिससे कोई भी पिता मेरे पिता की तरह परे शानी का सामना न करना पड़े.

रोहिणी भाजीभाकरे बताती है की महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में उसके पिता को किसी सरकारी कागजातों पर जिले के कलेक्टर के हस्ताक्षरों की जरूरत थी. ज़िला कलेक्टर का ऑफिस दूर था और हम निर्धन ऐसे में पिता जी रोज़ सुबह पैदल जाते शाम को घर और कहते उन्होंने कल आने को कहा है.

यह सिलसिला कई दिनों तक चला और अपने पिता की तकलीफ को देखते हुए रोहिणी भाजीभाकरे बताती है की मैंने मन में ही ठान लिया था की एक दिन मैं कलेक्टर बनूँगी और कभी किसी को ऐसे परेशान नहीं करुँगी.

9 साल में मन में ठानकर यह बात उन्होंने इतनी मेहनत से पढ़ाई की ठीक 14 साल के बाद यानी 23 वर्ष होने के साथ ही सिविल परीक्षा को पास कर लिया. मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया की मैं अब तमिलनाडु के सेलम जिले की पहली महिला कलेक्टर रूप में इस पदभार को संभाल रहीं हूँ.

यह कहानी मात्र एक कहानी नहीं है, यह इंसानियत और दया का जीता जागता सबूत है की कैसे एक बेटी से अपने पिता की वो तक लीफ देखी नहीं गयी और उसने प्रशासन को कोसने की बजाए उसमे उतरकर उसको सही करने की कोशिश की. हमलोग की पूरी टीम ‘रोहिणी भाजीभाकरे’ जैसी बेटियों को दिल से सलाम करती हैं.

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