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आमिर खान को लेकर फिर मचा बवाल, फिर से किया हिंदुओं की भावनाओं से खिलवाड!

नई दिल्ली। बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान एक विज्ञापन को लेकर विवादों में घिर गए हैं। विज्ञापन एक निजी बैंक का है, जिसमें उनके साथ एक्ट्रेस कियारा आडवाणी भी नजर आ रही हैं। इसमें आमिर शादी के बाद दुल्हन के गृह प्रवेश करने के उलट घर जमाई के रूप में ससुराल में गृह प्रवेश करते नजर आ रहे हैं।

इस ऐड को लेकर मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि ऐसे विज्ञापन से भावनाएं आहत होती हैं। उन्हें (आमिर खान) इसकी इजाजत नहीं है। मेरे पास शिकायत आई थी। जब मैंने इस विज्ञापन को देखा तो मुझे भी गलत लगा।

बुधवार को भोपाल में मीडिया से चर्चा में गृहमंत्री मिश्रा ने कहा- मेरे पास शिकायत आई है। इसके बाद निजी बैंक के लिए आमिर खान का यह विज्ञापन मैंने भी देखा है। मेरा आमिर खान से अनुरोध है कि भारतीय परंपराओं और रीति-रिवाजों को ध्यान में रखकर ही विज्ञापन करें।

भारतीय परंपरा, रीति-रिवाजों और देवी-देवताओं को लेकर आमिर खान के ऐसे मामले आते रहते हैं। तोड़-मरोड़कर अभिनय करने से धर्म विशेष की भावनाएं आहत होती हैं। किसी की भी भावना को आहत करने की इजाजत किसी को नहीं है।

इस ऐड में आमिर-कियारा न्यूली वेड कपल के रूप में नजर आ रहे हैं। आमिर, कियारा से कहते हैं, ‘ये पहली बार है जब विदाई में दुल्हन रोई नहीं।’ विज्ञापन में सामान्य प्रथा से अलग दूल्हा, दुल्हन के घर रहने जाता है, ताकि दुल्हन के बीमार पिता की देखभाल हो जाए। इस दौरान रियल लाइफ में जिस तरह दुल्हन घर में पहला कदम रखती है, उसी तरह इस ऐड में आमिर घर में पहला कदम रखकर गृह प्रवेश करते हैं। वहीं सारे मेहमान आमिर का धूमधाम से स्वागत करते हैं। इसे लेकर ही यूजर्स ट्रोल कर रहे हैं और इससे सामाजिक भावनाओं के आहत होने की बात कह रहे हैं।

आमिर खान के इस ऐड को लेकर संस्कृति बचाओ मंच ने भी नाराजगी जताई है। मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी कहा- मैं आमिर खान से पूछना चाहता हूं कि सिर्फ हिंदू धर्म की प्रथाओं को बदलवाने का ठेका आपने ले रखा है। हमारे देवी-देवताओं का अपमान करना, हिंदू धर्म को आघात पहुंचाना, यही आपका उद्देश्य है।

हिंदू धर्म में मातृ शक्ति को सर्वोपरि स्थान दिया गया है। स्त्री का सम्मान होता है। इसलिए गृह प्रवेश में भी पुत्र वधू का प्रथम चरण हमारे घर में प्रवेश करता है और आप उस प्रथा को बदलने का प्रयास करने की बात कर रहे हैं। इसका संस्कृति बचाओ मंच विरोध करता है।

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