इंसान को ऐसी जगहों पर कभी नहीं बसाना चाहिए घर, भविष्य में होती है बड़ी परेशानी

नई दिल्ली. प्रसिद्ध अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य बेहद ही बुद्धिमान और कुशल राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने अपनी नीतियों में न सिर्फ व्यक्ति को सफलता हासिल करने के तमाम रास्ते बताए हैं, बल्कि इनके माध्यम से समाज का कल्याण भी किया है। आज भी उनकी रणनीति पूरे विश्व में विख्यात है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के बल पर एक साधारण बालक चंद्रगुप्त को मधग का सम्राट बना दिया था। उन्होंने अपने नीतिशास्त्र में निजी जीवन, नौकरी, व्यापार, रिश्तें, मित्रता, शत्रु आदि जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किए हैं। चाणक्य नीति कहती है कि मनुष्य का जीवन अनमोल है। इस जीवन को यदि सफल और सार्थक बनाना है, तो हर किसी को कुछ बातों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा आचार्य चाणक्य ने जीवन के पहलुओं के बारे में बताया है। व्यक्ति को कहां रुकना और कहां रहना चाहिए, इसको लेकर भी अपनी किताब में उन्होंने काफी कुछ बताया है। आइए जानते हैं इसके बारे में…

ऐसी जगह नहीं रुकना चाहिए
आचार्य चाणक्य के मुतबिक, जिस देश में आदर-सम्मान न हो, जहां आजीविका का कोई साधन न हो, जहां कोई बंधु-बांधव, रिश्तेदार भी न हों तथा किसी प्रकार की विद्या और गुणों की प्राप्ति की संभावना न हो, ऐसे देश को छोड़ ही देना चाहिए।

दरअसल, किसी अन्य देश अथवा किसी अन्य स्थान पर व्यक्ति इसलिए जाता है, क्योंकि वहां जाकर कोई नयी बात, नयी विद्या, रोजगार और नया गुण सीख सकेंगे। लेकिन जहां इनमें से किसी भी बात की संभावना न हो, ऐसे देश या स्थान पर जाने का कोई औचित्य नहीं।

चाणक्य नीति के अनुसार, जहां वेद को जानने वाला ब्राह्मण, धनिक, राजा, नदी और वैद्य न हों, उस स्थान पर मनुष्य को एक दिन भी नहीं रहना चाहिए।

चाणक्य नीति कहती है कि जहां लोकयात्रा अर्थात जीवन को चलाने के लिए आजीविका का कोई साधन न हो, व्यापार आदि विकसित न हो, किसी प्रकार के दंड के मिलने का भय न हो, लोकलाज न हो, व्यक्तियों में शिष्टता, उदारता न हो अर्थात उनमें दान देने की प्रवृत्ति न हो, वहां व्यक्ति को एक पल भी नहीं रुकना चाहिए।

चाणक्य नीति के मुताबिक, जहां के लोगों में दान देने की भावना ना हो ऐसे स्थान पर भी नहीं रहना चाहिए, क्योंकि दान देने से ना सिर्फ पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि अंतरात्मा भी पवित्र होती है।

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को उस जगह पर रहना चाहिए, जहां व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए कानून न तोड़कर दूसरों के हित के लिए कार्य एवं समाज सेवा करे। जहां लोग मिलजुल कर रहते हैं इंसान को ऐसी जगह रहना चाहिए।

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