इस बच्चे को सिर्फ 14 वर्ष की उम्र में दी गई थी रूह कंपा देने वाली सजा, जानिए क्या थी वजह

नई दिल्ली: आप सभी जानते है कि हमारे देश में छोटे बच्चों को सजा नहीं दी जाती है लेकिन ऐसा दूसरे देशों में नहीं होता। जी हां आज आपको एक ऐसा वाक्या सुनाने जा रहे है जिसे सुनने के बाद आपकी रूह कांप जाए। दरअसल इस देश में एक छोटे से बच्चे को दर्दनाक सजा दी गयी थीं। अब से करीब 75 साल पहले अमेरिका की एक अदालत ने केवल 10 मिनट में एक बच्चे को मौत की सजा सुना दी थी, जिसके बाद उसे इलेक्ट्रिक चेयर पर बांधकर मौत के घाट उतार दिया गया था।

आपको बता दे कि रूह कंपा देने वाली ये घटना साल 1944 में घटी थी। इस बच्चे का नाम जॉर्ज स्टिनी था। जॉर्ज अफ्रीका-अमेरिका मूल का एक अश्वेत बच्चा था। उस जमाने में अमेरिका में गोरे लोग अश्वेतों के साथ भेदभाव किया करते थे। हालांकि साल 2014 में केस दोबारा खोला गया और तब बच्चे को बेगुनाह माना गया। मार्च 1944 में जॉर्ज जूनियस स्टिनी अपनी बहन के साथ घर के सामने खेल रहा था, उसी वक्त दो श्वेत बच्चियां फूल ढूंढती हुई वहां पहुंची और जॉर्ज से भी इस बारे में बात की।

मदद के लिए 14 साल का जॉर्ज उनके साथ गया जिसके बाद लड़कियां गायब हो गई। लड़कियों के घरवालों ने उन्हें ढूंढना शुरू किया, तो पता चला कि वो आखिरी बार जॉर्ज के साथ देखी गई थीं। वहीं दोनों लड़कियों की लाश रेलवे ट्रैक के पास कीचड़ में पड़ी मिली। दोनों के सिर पर गहरी चोट लगी थी। लाश मिलने के बाद पुलिस ने शक के आधार पर जॉर्ज को हिरासत में ले लिया और उससे पूछताछ की।

बाद में पुलिस की ओर से बताया गया कि जॉर्ज ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है कि उसी ने दोनों लड़कियों का कत्ल किया है। पुलिस ने बताया कि जॉर्ज उनमें से एक लड़की के साथ संबंध बनाना चाहता था। लेकिन मना करने पर वह भड़क गया और उसने एक लोहे की रॉड से उनके सिर पर वार कर दिया। बाद में सामने आया कि जॉर्ज के बयान की कॉपी पर उसके साइन तक नहीं थे।

सुनवाई शुरू हुई तो पीड़ित परिवार के वकील से लेकर जॉर्ज तक का वकील और यहां तक कि जज भी श्वेत था। यहां तक कि कोर्टरूम में भी किसी अश्वेत को भीतर जाने की इजाजत नहीं दी गई। भीतर ही भीतर मामले की सुनवाई हुई और फैसला हो गया। अदालत ने जॉर्ज को वयस्कों की तरह ट्रीट किया और बिना किसी गवाह, जांच और दलील के उसे दोषी मानते हुए मौत की सजा सुना दी गई।

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