एनसीएल ने एम-सैंड के विक्रय हेतु हितधारक बैठक का किया आयोजन
सिंगरौली,नॉर्दर्न कोलफ़ील्डस लिमिटेड (एनसीएल) ने एम-सैंड के विक्रय हेतु एक हितधारक बैठक का एमडीआई, केन्द्रीय उत्खनन एवं प्रशिक्षण संस्थान परिसर में आयोजन किया। इस बैठक के आयोजन का मुख्य उद्देश्य एम-सैंड के विक्रय हेतु हितधारकों को जागरूक करना एवं एम-सैंड के उपयोग को बढ़ावा देना था।
इस अवसर पर एनसीएल के निदेशक (वित्त) श्री रजनीश नारायण, निदेशक (तकनीकी एवं संचालन) श्री जितेंद्र मलिक, एनसीएल मुख्यालय से विभिन्न विभागों एवं परियोजनाओं के महाप्रबंधकगण/ विभागाध्यक्ष एवं अन्य उपस्थित रहे।
इस दौरान निदेशक (वित्त) श्री रजनीश नारायण ने एम-सैंड को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सार्थक पहल बताते हुए उपस्थित सभी को इसके ई -ऑक्शन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर निदेशक (तकनीकी एवं संचालन) श्री जितेंद्र मलिक ने अपने उद्बोधन में कहा कि पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण के लिए एम-सैंड एनसीएल का एक सफल प्रयास है। इसके साथ ही उन्होंने उपस्थित सभी इच्छुक खरीददारों से एम-सैंड में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने हेतु प्रेरित किया।
इस दौरान उपस्थित सभी हितधारकों को एम-सैंड के विभिन्न लाभों, गुणवत्ता, क्रय से संबंधित तकनीकी एवं वाणिज्यिक विषयों पर विस्तार से जानकारी दी गई व इससे जुड़े अनेक पहलूओं पर चर्चा भी की गयी। इसके साथ ही बताया गया कि एनसीएल, एम-सैंड का ई-ऑक्शन भारत सरकार की एजेंसी
एमएसटीसी के द्वारा करवाती है, जिसमें पूरे भारत से इच्छुक क्रेता भाग ले सकते है व इस रेत का इस्तेमाल कहीं भी किया जा सकता है। इस अवसर पर एम-सैंड से जुड़े सतत पहलू जैसे पर्यावरण संरक्षण, सस्ती दर पर वर्ष भर उपलब्धता, प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा, जलीय जीवन संरक्षण आदि के बारे में भी बताया गया।
गौरतलब है कि भारत सरकार के “वेस्ट-टू-वैल्थ मिशन” के तहत एनसीएल ने अमलोरी परियोजना में ‘ओबी टू सैंड’ सयंत्र की स्थापना की है । एनसीएल का यह अभिनव प्रयास नदियों के दोहन को रोकने में भी सहायक सिद्ध होगा । इसकी पर्यावरण अनुकूल प्रकृति और लागत प्रभावशीलता के कारण यह नदियों से उपार्जित रेत की तुलना में एक वैकल्पिक समाधान है। इस रेत का परीक्षण एनएबीएल मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला द्वारा किया गया है और यह एमएनआईटी, प्रयागराज द्वारा भी प्रमाणित है।
रवीन्द्र केसरी