एसआरएमएस रिद्धिमा में नाटक “नो एग्जिट” का मंचन
बरेली,01जुलाई। श्रीराम मूर्ति स्मारक रिद्धिमा में रविवार कल बिलीवर आर्ट्स की ओर से नाटक “नो एग्जिट” का मंचन किया गया। तुषार चमोला निर्देशित नाटक “नो एग्जिट”
में यह मृत्यु के बाद के जीवन का चित्रण है, जिसमें तीन मृत पात्रों को अनंत काल के लिए एक साथ एक कमरे में बंद करके दंडित किया जाता है। लेखक जीन पाल सार्त्र ने पूरे नाटक में अस्तित्ववाद और आत्म-धोखे को दर्शाया है। इसके कथानक में एक ड्राइंग रूम का सेट है। नरक का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसे साधारण ड्राइंग रूम के फर्नीचर से सजाया गया है। एक रहस्यमयी सेवक तीन शापित आत्माओं वियोम, प्रयुशी और राशि को बारी बारी से यहां लाता है और उन्हें वहां बंद कर चला जाता है। सभी उम्मीद कर रहे हैं कि यहां पर यातना उपकरण उन्हें अनंत काल तक दंडित करेंगे, लेकिन इसके बजाय, उन्हें एक सादा कमरा मिला जो सुसज्जित था। वियोम कमरे को देख कर आश्चर्यचकित है, यह देखते हुए कि उसे और अधिक यातना उपकरणों की उम्मीद थी। सेवक वियोम को बताता है कि वह एक बटन के धक्का पर सेवक को बुला सकता है, लेकिन वह शारीरिक रूप से कमरे से बाहर जाने में असमर्थ है। यह बता कर सेवक चला जाता है। अकेला वियोम घबराने लगता है। वह बटन का उपयोग कर सेवक को बुलाने की कोशिश करता है, लेकिन सेवक कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है। महिला प्रयुशी की आत्मा वियोम से डरती है और उसे अत्याचारी मानती है, लेकिन वियोम उसे आश्वासन देता है कि वह सामान्य व्यक्ति है और उसे चोट नहीं पहुंचाना चाहता। फिर भी घबराई प्रयुशी कहती है वह जिस वियोम को जानती है, उसका कोई चेहरा नहीं है। लेकिन वह भ्रमित हो जाती है जब वियोम ऊपर देखता है और बताता है कि उसका एक चेहरा है। नाटक में तुषार चमोला (वियोम), लकी मल्होत्रा (वैलेट), हर्षिता (राशि), दीप्ति ठाकुरी (प्रयुशी), सावंत मोरया (कथावाचक), रोहित कुमार (मूर्ति) ने अपनी भूमिकाओं में जीवंत अभिनय किया। इस मौके पर एसआरएमएस ट्रस्ट के संस्थापक व चेयरमैन देव मूर्ति जी, आशा मूर्ति जी, उषा गुप्ता जी, डा. एमएस बुटोला, डा. प्रभाकर गुप्ता, डा. अनुज कुमार, डा. रीता शर्मा सहित शहर के गणमान्य लोग मौजूद रहे। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट