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कितनी थी ब्रह्मास्त्र से भी घातक सुदर्शन चक्र की रफ्तार और वजन, इस अस्त्र की खासियत जानकर रह जाएंगे हैरान

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में त्रिदेव को कौन नहीं जानता. ब्रह्मा, विष्णु और महेश. एक सृष्टि की रचना करने वाले, एक पालनहार और तीसरे संहारक. तीनों की शक्तियों की कोई सीमा नहीं. ब्रह्मा के महाविध्वंसक अस्त्र का नाम है ब्रह्मास्त्र, महादेव के पास है त्रिशूल और भगवान विष्णु की उंगली में आपने सुदर्शन चक्र देखा होगा. भगवान विष्णु और उनके अवतार श्रीकृष्ण ने इसी सुदर्शन चक्र से कई राक्षसों का वध किया था. आज हम आपको इसी महाविध्वंसक अस्त्र के बारे में बताएंगे.

सुदर्शन चक्र का नाम दो शब्दों से पड़ा है. सु और दर्शन. इसका मतलब है शुभ दृष्टि. सभी महाअस्त्रों में से सिर्फ सुदर्शन चक्र ऐसा है, जो लगातार गतिशील है. इसके निर्माण को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं. कुछ शास्त्र कहते हैं कि यह ब्रह्मा, विष्णु, महेश और बृहस्पति की शक्तियों के मिश्रण से बना है.

एक कहानी यह भी है कि इसे देवताओं के रचनाकार विश्वकर्मा ने बनाया था. विश्वकर्मा की बेटी संजना का विवाह भगवान सूर्य से हुआ था. लेकिन सूर्य के तेज के कारण वह उनके करीब नहीं जा पाती थीं. उन्होंने इस बारे में अपने पिता को बताया. इसके बाद विश्वकर्मा ने सूर्य का तेज कम कर दिया. इसके बाद जो धूल बची, उसे विश्वकर्मा ने जमा किया और उन्होंने इससे तीन चीजें बनाईं. पहला पुष्पक विमान, दूसरा भगवान शिव का त्रिशूल और तीसरा सुदर्शन चक्र.

हालांकि पौराणिक ग्रंथ यह भी कहते हैं कि एक बार असुरों ने स्वर्ग पर आक्रमण करके देवताओं को बंदी बना लिया. भगवान विष्णु भी उनकी रक्षा नहीं कर सके. इसके बाद उन्होंने भगवान विष्णु की सहस्त्र कमल पुष्पों से पूजा की. भगवान शिव उनकी तपस्या से खुश हुए लेकिन उन्होंने अपनी माया से एक कमल को गायब कर दिया. भगवान विष्णु को जब एक कमल नहीं मिला तो उन्होंने अपना एक नेत्र निकाल कर शिवलिंग पर अर्पित किया. इसके बाद भगवान शिव ने उनको सुदर्शन चक्र दिया, जिससे नारायण ने असुरों का विनाश कर दिया.

महाभारत के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन ने खांडव वन को जलाने में अग्नि देवता की सहायता की थी. बदले में उन्होंने कृष्ण को एक चक्र और एक कौमोदकी गदा भेंट की थी. एक प्रचलित कथा यह भी है कि परशुराम ने भगवान कृष्ण को सुदर्शन चक्र दिया था.

सुदर्शन चक्र की खासियत यह है कि इसे दुश्मन पर फेंका नहीं जाता.यह मन की गति से चलता है और दुश्मन का विनाश करके ही वापस लौटता है. पूरी धरती पर इससे बचने की कोई जगह नहीं. पुराणों और ग्रंथों के मुताबिक, यह एक सेकंड में लाखों बार घूमता है. पलक झपकते ही यह लाखों योजन (1 योजन-8 किलोमीटर) का सफर कर सकता है. इसका वजन 2200 किलो माना जाता है.

यह एक गोलाकार अस्त्र है, जो आकार में लगभग 12-30 सेंटीमीटर व्यास का है. सुदर्शन चक्र में दो पंक्तियों में लाखों कीलें विपरीत दिशाओं में चलती हैं जो इसे एक दांतेदार किनारा देती हैं. माना जाता है कि यह ब्रह्मास्त्र से भी कई गुना ज्यादा ताकतवर अस्त्र है.

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