गर्भाशय में होने वाली इस बीमारी की समय से कराले जांच, मां बनने में डालती है रुकावट, इन लक्षणों को मत करें इग्नोर

नई दिल्ली। टीबी को लोग फेफड़े, श्वसन तंत्र से होने वाली बीमारी मानते हैं, लेकिन गर्भवती महिलाओं को भी सतर्क रहने की जरूरत है। गर्भाशय में होने वाली इस बीमारी की समय से जांच और डॉक्टर की सलाह पर इलाज बहुत जरूरी है, नहीं तो आगे चलकर परेशानी बढ़ जाती है।

वाराणसी के दीनदयाल उपाध्याय जिला अस्पताल में एमसीएच विंग में स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. आरती दिव्या का कहना है कि टीबी मुख्य रूप से फेफड़ों, श्वसन तंत्र और पाचन तंत्र को प्रभावित करती है। कुछ मामलों में नाखून व बाल को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में बीमारी हो सकती है।

यदि कोई महिला गर्भवती नहीं हो पा रही है तो इसकी वजह गर्भाशय में टीबी हो सकती है। टीबी के बैक्टीरिया महिला के यूट्रस की दीवारों और नलियों को खराब कर देते हैं। यहीं नहीं फैलोपियन ट्यूब भी बंद हो जाता है। इससे नियमित मासिक धर्म नहीं आते हैं। डॉ. दिव्या ने बताया कि कुछ मामलों में यह पूरी तरह से रुक जाते हैं।

ओपीडी में हर माह तीन-चार महिलाएं ऐसी समस्या लेकर आती हैं। जांच में पता चलता है कि गर्भाशय में टीबी मां बनने में रुकावट डाल रही है। छह माह से एक वर्ष तक नियमित दवा के सेवन से महिलाएं पूरी तरह ठीक होकर मां बनने की स्थिति में आ जाती हैं।

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ट्यूबरकुलीन स्किन टेस्ट के साथ ही ब्लड टेस्ट कराया जाता है। यूट्रस की बायोप्सी भी कराई जाती है। इसके अलावा जेनेटिक टेस्ट भी होता है, जिससे टीबी के इंफेक्शन का पता चलता है। ऐसे मरीजों को 6 महीने तक टीबी की दवा नियमित तौर पर खिलाई जाती है।

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