चचेरे भाई और भतीजी के कातिल को फांसी की सजा, गांव में दौड़ाकर दिनदहाड़े की थी हत्‍या

Sentence to Death: यूपी के महराजगंज में चचेरे भाई और भतीजी की बेरहमी से की गई हत्या के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम की अदालत ने अभियुक्त को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने 2 लाख 25 हजार जुर्माना भी लगाया है। पुरन्दरपुर क्षेत्र के मानिक तालाब टोला चन्नीपुर में 2 अप्रैल 2014 को दिनदहाड़े बैजू उर्फ बैजनाथ ने अपने चचेरे भाई निर्मल और भतीजी की धारदार हथियार से बेरहमी से हत्या कर दी थी। इस मामले में भतीजी ज्ञानती के पिता राजेन्द्र चौधरी की तहरीर पर पुरन्दरपुर थाने में केस दर्ज कराया। वादी के मुताबिक बैजू के पिता यमुना चौधरी से 15-20 साल पहले जमीन का विवाद था। उस समय बैजू छोटा था। विवाद उसी समय सुलझ गया था। बैजू जब बड़ा हुआ तो उसी मामले को लेकर रंजिश रखने लगा था। रंजिश के कारण ही उसने ज्ञानती व उसके ताऊ निर्मल की दिनदहाड़े गांव में दौड़ा कर हत्या कर दी।

ट्रायल के दौरान 14 गवाहों में से दस ने गवाही की। साक्ष्यों के आधार पर अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम पवन कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने अभियुक्त बैजू उर्फ बैजनाथ को दोषी करार दिया। कोर्ट ने अभियुक्त को मौत की सजा सुनाते हुए आदेश दिया कि उसे तब तक गर्दन से फांसी पर लटकाया जाए जब तक वह मर न जाए। जिले में फांसी की सजा का यह दूसरा मामला है। इसके पहले सदर कोतवाली क्षेत्र के पिपरा कल्याण गांव में हुई हत्या के मामले में कोर्ट ने वर्ष 2003 में फांसी की सजा सुनाई थी।

दिनदहाड़े दोहरे हत्याकांड से दहल उठा था मानिक तालाब गांव
बचपन की रंजिश को मन में पालकर बड़ा हुआ बैजू उर्फ बैजनाथ ने 2 अप्रैल 2014 को दोहरे हत्याकांड को अंजाम देकर चचेरे भाई व भतीजी को मौत के घात उतार दिया था। दिन दहाड़े हुई इस घटना से पुरन्दरपुर थानाक्षेत्र का मानिक तालाब गांव दहल उठा था। घटना के बाद बैजू भगाने के दौरान पीछा कर रहे ग्रामीणों को धारदार हथियार लहरा कर भयभीत करने की कोशिश किया था, लेकिन ग्रामीणों ने उसे पकड़ पुलिस के हवाले कर दिया।

पत्रावली के मुताबिक बैजू के मन में रंजिश दोहरे हत्याकांड के करीब बीस साल पहले ही पल गई थी। उस समय वह छोटा था। पिता व चाचा के बीच भूमि को लेकर लफड़ा था। बाद में उसे सुलझा लिया गया था, लेकिन बैजू उर्फ बैजनाथ उस रंजिश को मन में पाले रहा। घर के अंदर खुद ही लोहे का हथियार बनाता रहा। वादी राजेन्द्र चौधरी के मुताबिक बैजू के रंजिश को वह समझ नहीं पाए। दो अप्रैल 2014 को चचेरा भाई निर्मल की हत्या की योजना उस समय बनाया जब परिजन घर पर मौजूद नहीं थे।

चचेरे भाई को 79 बार चाकू से गोंदा, भतीजी पर किया था 73 वार
बैजू घटना के दिन अपने हाथ व पैर में ट्यूब के सहारे चाकू समेत कई धारदार हथियार को बांध छिपाया था। मालिक तालाब गांव में कबीर चौधरी के घर के सामने निर्मल को देखते ही वह अपने हाथ से बनाए तलवार व चाकू लेकर दौड़ा लिया। हमला के बाद वह निर्मल नीचे गिर गया। सीने पर बैठ दोनों हाथ से चाकू व तलवार निर्मल के शरीर को 79 बार गोदा। यह घटना देख भतीजी ज्ञानती शोर मचाते हुए बोली कि चाचा बड़े पापा को मत मारो। इसके बाद निर्मल को छोड़ बैजू अपनी भतीजी को दौड़ा लिया। बदहवास होकर भाग रही ज्ञानती को तीन घर पार करते हुए हरिराम विश्वकर्मा के घर के सामने दबोच हमला कर दिया। उसके उपर 73 बार वार किया था। इससे घटना स्थल पर उसकी मौत हो गई। इस मामले में नौ साल दस माह बाद फांसी की सजा का फैसला आने के बाद मानिक तालाब के गांव के लोगों के जेहन में घटना की तस्वीर कौंध आई। नरेन्द्र यादव ने बताया कि दिल दहला देने वाली घटना थी।

ऑपरेशन कन्विक्शन के तहत अभियोजन ने की प्रभावी पैरवी
पुलिस कार्यालय के मीडिया सेल के मुताबिक हत्या के इस जघन्य अपराध में अभियुक्त को सजा सुनाने में आपरेशन कन्विक्शन के तहत पुलिस ने अभियोजन विभाग से समन्वय बनाकर प्रभावी पैरवी किया। तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक अनिल कुमार सिंह के अलावा कोर्ट मोर्हिरर हेड कांस्टेबल भगवान राम व न्यायालय पैरोकार कांस्टेबल सूरज कुमार तिवारी ने समय-समय पर गवाहों को पेश किया। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी देवेन्द्र पांडेय व संतोष मिश्र ने बहस किया। पत्रावली में उपलब्ध साक्षॺों के आधार पर न्यायाशीश ने फैसला सुनाया।

क्‍या बोले सरकारी वकील
सहायक जिला शासकीय अधिवक्‍ता देवेंद्र पाांडेय ने कहा कि पुरन्दरपुर थानाक्षेत्र में वर्ष 2014 में चचेरे भाई व भतीजी के दोहरे हत्याकांड में न्याय की जीत हुई है। अपर सत्र न्यायाशीध की अदालत ने अभियुक्त को फांसी की सजा दी है।

क्‍या बोली पुलिस
एसपी सोमेन्‍द्र मीना ने बताया कि डीजीपी के निर्देश पर चलाए जा रहे आपरेशन कन्विक्शन के तहत वर्ष 2014 में पुरन्दरपुर थानाक्षेत्र के डबल मर्डर केस में न्यायालय द्वारा अभियुक्त बैजू उर्फ बैजनाथ को फांसी की सजा सुनाई गई है। इसमें महराजगंज पुलिस और अभियोजन के द्वारा सार्थक प्रयास किए गए। इस टीम को मेरी तरफ से पुरस्कार व प्रशस्ति पत्र जारी किया जा रहा है।

अलीगढ़ में मंगलसूत्र भी उतरवाए
अलीगढ में पुलिस भर्ती के परीक्षा केंद्रों पर काफी सख्ती बरती जा रही है। परीक्षा केंद्रों पर महिला अभ्यर्थियों को प्रवेश के दौरान पर्स, शाल, हाथ में बंधे धागे, बालों लगे कलेचर और यहां तक कि मंगलसूत्र भी उतरवा लिए गए। अभ्यर्थियों के हाथ में कंगन भी पहनकर जाने पर रोक लगाई। परीक्षार्थियों की भारी संख्या के चलते शहर में भारी जाम की स्थिति सुबह से ही बन गई। शहर से आगरा को जाने वाले मार्ग पर लगे जाम में एम्बुलेंस भी फंसी रहीं।

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