नैनीताल बैंक को प्राइवेट हाथों में बेचे जाने से कर्मचारियों में आक्रोश , 30 मार्च को नहीं होने देंगे वार्षिक लेखाबंदी

नैनीताल ,17 मार्च । नैनीताल बैंक के कर्मचारी लगातार पांचवे दिन भी बैंक को प्राइवेट हाथों में दिए जाने के विरोध में असहयोग आंदोलन पर रहे और विरोध स्वरूप हाथों पर काली पट्टी बांधकर शाखाओं का कामकाज करते रहे। गौरतलब है कि 12 मार्च से चल रहे असहयोग आंदोलन का कल पांचवा दिन था तथा प्रबंधन द्वारा कोई उचित कदम न उठाए जाने से कर्मचारियों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है हालांकि बैंक प्रबंधन की तरफ से यूनियन की मांग के अनुसार बैंक के बोर्ड से वार्ता हेतु 16 मार्च 2024 का संभावित समय दिया गया था, परंतु इस पर भी कोई निर्धारित समय नहीं दिया गया है। संगठन के महामंत्री पीयूष पायल ने कहा कि इस कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ का किसी के पास कोई अधिकार नहीं है और यदि इसी प्रकार बैंक प्रबंधन हमारी न्यायोचित मांगों की अनदेखी करता रहा तो हम अपना कार्य बहिष्कार और तेज करेंगे तथा 30 तारीख की एक दिन की हड़ताल को अनिश्चित काल तक बढ़ा देंगे। बैंक ऑफ बड़ौदा प्रबंधन द्वारा बैंक को निजी हाथों में बेचने हेतु निविदा मगाई गई थी जिसमें गजा कैपिटल, पीरामल कैपिटल, पैरागोंन ग्रुप, प्रेमजी इन्वेस्ट, निजी इक्विटी फर्म –मल्टीपल्स (Multiples), ज़ेरोधा (Zerodha ), मोबीक्विक (MobiKwik) तथा कुछ अन्य स्मॉल फाइनेंस बैंकों द्वारा अपनी इच्छा जताई है। एक सदी पुराने बैंक को इस तरह प्राइवेट हाथों में देने की कोशिश दुर्भाग्यपूर्ण है तथा दशकों से जुड़े हुए ग्राहकों तथा कार्य कर रहे कर्मचारियों से सरासर धोखाधड़ी है।

याचिका समिति- लोकसभा द्वारा वर्ष 2018 एवम पुनः वर्ष 2020 में नैनीताल बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन की याचिका पर स्पष्ट रूप से सिफारिश की थी कि, नैनीताल बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय किया जाय। इसके अलावा, आर०बी०आई० (RBI) द्वारा वर्ष 2006, 2014, 2018, 2020 एवम 2022 में नैनीताल बैंक को बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय करने हेतु स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। याचिका समिति तथा आरबीआई के निर्देशों को दरकिनार करते हुए, बैंक ऑफ बड़ौदा प्रबंधन द्वारा अपनी हिस्सेदारी को प्राइवेट हाथों में देने हेतु निविदा निकालना स्पष्ट रूप से निहित स्वार्थों और दुर्भावनापूर्ण इरादों को दर्शाता है।

नैनीताल बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव श्री पीयूष पयाल ने आगे कहा कि नैनीताल बैंक 1922 में स्थापित एक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक है, जो एक सदी से भी अधिक समय से उत्तराखंड राज्य के विकास से जुड़ा हुआ है। बैंक ऑफ बड़ौदा नैनीताल बैंक में 98.57% हिस्सेदारी रखता है ।नैनीताल बैंक अपनी 169 शाखाओं के साथ पांच राज्यों में अपनी सेवाएं दे रहा है। उत्तराखंड में नैनीताल बैंक की 98 शाखाएं हैं तथा हर जिले के दूरदराज इलाकों में अपनी सेवाएं अनवरत दे रही हैं। नैनीताल बैंक के बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय होने पर नैनीताल बैंक के कर्मचारियों का भविष्य तो सुरक्षित होगा ही साथ ही नैनीताल बैंक के ग्राहकों को भी बैंक ऑफ बड़ौदा की उत्कृष्ट बैंकिंग सेवाओं, कम ब्याज दर पर ऋण तथा राज्य व भारत सरकार की समस्त जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी मिलेगा। उन्होंने आगे कहा कि नैनीताल बैंक को प्राइवेट हाथों में दिये जाने का हम पुरजोर विरोध करते हैं तथा कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित रखने हेतु हर लड़ाई लड़ेंगे।

नैनीताल बैंक जिसमें बैंक वर्तमान में उत्तर भारतीय क्षेत्र जैसे दिल्ली उत्तर प्रदेश हरियाणा एवं राजस्थान तथा मुख्य रूप से उत्तराखण्ड में फैला हुआ है। नैनीताल बैंक पिछले 50 वर्षों से लाभ अर्जित करने वाला संस्थान है तथा बैंक ऑफ बड़ौदा को औसतन 20% का लाभांश देता रहा है। नैनीताल बैंक उत्तराखंड के हर जिले में तथा अति दुर्गम क्षेत्रों में भी अपनी सेवाएं अनवरत दे रहा है। नैनीताल बैंक कई क्षेत्रों जैसे अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री जनधन योजना, आधार पंजीकरण तथा अन्य सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं को अंतिम लाभार्थी तक पहुंचाने हेतु हमेशा अग्रणी रहते हुए विभिन्न मंचों में पुरस्कृत भी हुआ है। नैनीताल बैंक को अटल पेंशन योजना में उत्कृष्ठ कार्य हेतु भारत सरकार द्वारा पूर्व में पुरस्कृत किया गया है तथा आधार पंजीकरण के क्षेत्र में उत्कृष्टता हेतु भी सम्मान प्राप्त हुआ है। इसके साथ ही नैनीताल बैंक उत्तराखंड सरकार को सर्वाधिक टेक्स देने वाले संस्थानों में अग्रणी है।

नैनीताल से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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