पीड़िता सुनीता की सरकार से गुहार, ‘जिंदगी नहीं तो जहर की सुई ही दिलवा दे सरकार’
मुजफ्फरपुर। जीवन बचाने के लिए सिस्टम तो बना, मगर इसमें छेद से सैकड़ों लोगों की जिंदगी भी खतरे में आ जा रही है। जिले के सकरा की महज 28 साल की सुनीता देवी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। सिस्टम की छत्रछाया में अवैध अस्पताल चलाने वाले झोलाछाप ने गर्भाशय के ऑपरेशन के दौरान उसकी दोनों किडनी निकाल लीं। अब सुनीता जिंदगी की जंग लड़ रही हैं।
झोलाछाप डॉक्टर ने ऑपरेशन के लिए सुनीता से 20 हजार रुपये भी लिए। दर्द से पांच माह से तड़प रही सुनीता का धैर्य अब जवाब देने लगा है। डायलिसिस पर जिंदा सुनीता कह रही हैं कि ‘जिंदगी ना सही अब जहर की ही सुई सरकार दिलवा दे’। पिछले दिनों चेचक हो जाने से वह और कमजोर हो गई हैं। तबीयत में लगातार उतार-चढ़ाव से कब क्या हो जाए कहना मुश्किल है।
एसकेएमसीएच (श्रीकृष्ण मेडिकल कालेज एंड अस्पताल) में भर्ती सुनीता की देखभाल करने से पति अकलू राम भी काम नहीं कर पा रहा। राजमिस्त्री अकलू की आमदनी बंद हो गई है। डायलिसिस और इलाज में हो रहे खर्च से परिवार लाखों के कर्ज में चला गया है।
अकलू का कहना है कि सात से आठ लाख रुपये खर्च हो गए। कोई मदद नहीं कर रहा। एक समाजसेवी थोड़ा मदद कर रहे, मगर उससे काम नहीं चल पाता। डायलिसिस के दिन बाहर से दवा लानी होती है। उसने कहा कि हमलोगों को इस हाल में पहुंचाने वालों में से एक की गिरफ्तारी भी नहीं हुई है। सरकार दोषियों की संपत्ति जब्त कर किडनी की व्यवस्था करे। साथ ही मुआवजा दे, जिससे कर्ज समाप्त कर सकूं।
सुनीता के लिए किडनी की व्यवस्था सरकार के स्तर से नहीं हो पा रही। वहीं, उसका भाग्य भी साथ नहीं दे रहा। एक बिजली मिस्त्री श्यामनंदन सिंह ने किडनी देने पेशकश की तो अधिक उम्र के कारण चिकित्सकों ने इसे खारिज कर दिया। पति तैयार तो हुआ, मगर दोनों का ब्लड ग्रुप नहीं मिला।
सुनीता की इस हालत का असर उसके तीन बच्चों पर भी पड़ रहा है। मां को देखने वे अस्पताल आते तो एक ही सवाल, कब घर चलोगी? इसका जवाब सुनीता के पास है ना चिकित्सक के पास।
सुनीता के आगे के इलाज को लेकर यहां की व्यवस्था पहले ही हाथ खड़े कर चुकी है। स्वास्थ्य विभाग को भेजी गई रिपोर्ट में सिविल सर्जन की ओर से कहा गया है कि सुनीता के आगे का इलाज यहां से बाहर ही संभव है। यह भी महत्वपूर्ण है कि एसकेएमसीएच में नेफ्रोलाजिस्ट डॉ. धर्मेंद्र प्रसाद का अनुबंध समाप्त होने से डायलिसिस तकनीशियनों के सहारे चल रही है। डॉ. धर्मेंद्र प्रसाद की मानें तो सुनीता को एक किडनी की तत्काल जरूरत है।
मुजफ्फरपुर एसकेएमसीएच अधीक्षक डॉ. बीएस झा ने कहा कि जितनी व्यवस्था है, उसके अनुसार सुनीता का इलाज किया जा रहा है। उसकी नियमित डायलिसिस हो रही है। किडनी ट्रांसप्लांट जरूरी है।