फुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय में शोध छात्रों का फाइनल वायवा संपन्न
बरेली, 25 मार्च। महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय में कल दो शोध छात्रों का फाइनल वायवा (मौखिक परीक्षा) सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस अवसर पर विभाग के शिक्षकगण, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
पहला शोध वायवा :- सुश्री दीपलता मिश्रा ने अपना शोध प्रबंध “माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की सामाजिक विज्ञान विषय में उपलब्धि, अभिवृत्ति तथा सामाजिक कौशल पर परंपरागत शिक्षण विधि एवं समूह चर्चा विधि का तुलनात्मक अध्ययन” पर प्रस्तुत किया। उनके शोध निर्देशक प्रोफेसर सुनील कुमार जोशी (वर्धमान कॉलेज, बिजनौर) ने उनके कार्य की सराहना की। शोध में शिक्षण की विभिन्न विधियों के प्रभाव का विश्लेषण किया गया, जो शैक्षिक क्षेत्र के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
दूसरा शोध वायवा :- श्री प्रवीण कुमार गुप्ता ने “तुलनात्मक अध्ययन: NAAC मान्यता प्राप्त एवं गैर-मान्यता प्राप्त शिक्षक शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों की प्रभावशीलता, तनाव एवं कार्य संतुष्टि” विषय पर अपना शोध प्रस्तुत किया। उनकी शोध निर्देशिका प्रोफेसर नलिनी श्रीवास्तव (शिक्षा संकाय, रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय) ने उनके शोध की गुणवत्ता को रेखांकित किया। यह अध्ययन शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण प्रकाश डालता है।
बाहरी विशेषज्ञ की उपस्थिति :- वायवा समिति में बाहरी विशेषज्ञ के रूप में प्रोफेसर लवलता सिंधु (मेरठ कॉलेज, मेरठ) ने शोधार्थियों के प्रबंधों की गहन समीक्षा की तथा उपयोगी सुझाव दिए।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति :- इस अवसर पर शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संतोष अरोड़ा, संकाय के शिक्षकगण, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। विभागाध्यक्ष ने दोनों शोधार्थियों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए बधाई दी तथा भविष्य में और अधिक गुणवत्तापूर्ण शोध की अपेक्षा व्यक्त की।
इस कार्यक्रम ने शिक्षा के क्षेत्र में नए शोध एवं शैक्षिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस तरह के शोध कार्यों को निरंतर समर्थन देने का आश्वासन दिया।
बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट