भक्तों पर बरसेगी भगवान भोलेनाथ की कृपा, महादेव को अर्पित करें ये चीजें

भगवान शिव की आराधना के पवित्र माह सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई को है। इस माह में राशियों के अनुसार भगवान भोलेनाथ का पूजन और अभिषेक करना अधिक लाभदायक माना जाता है। बरेली के पंडित उमा शंकर शास्त्री ने सावन में भगवान शिव की पूजा के लिए सभी 12 राशियों के जातकों को अलग-अलग विधि बताई है।

मेष– बेलपत्र, चंदन और कमल, गुलहड़ पुष्प से शिव की पूजा करें। साथ ही जल में गुड़ मिलाकर भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें।

वृष– भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए गाय का दूध, दही, सफेद फूल, गंगाजल आदि से पूजा करें। इत्र और गन्ने के रस के अभिषेक करें।

मिथुन– भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए भांग, धतूरा, कुश, मूंग और दूब घास से पूजा अर्चना करें। गन्ने के रस से भगवान का अभिषेक करें।

कर्क– सफेद फूल, चंदन, इत्र, गाय का दूध, भांग आदि चढ़ाएं। दूध और दही से शिवलिंग का अभिषेक करें। मनोकामना पूर्ण होगी।

सिंह– शिव पर मदार का फूल, गेहूं, लाल कमल, चढ़ाएं। शिवलिंग पर पानी में गुड़ डाल कर अभिषेक करें और ऊं नम: शिवाय का जाप करें।

कन्या– भोले नाथ को प्रसन्न करने के लिए भगवान शंकर पर भांग, बेलपत्र, दूब, पान, धतूरा आदि अर्पित करें। गन्ने के रस से अभिषेक करें।

तुला– इत्र से शिवजी का अभिषेक करें या गंगाजल में चंदन मिलाकर अर्पित करें। सफेद चंदन, गंगाजल, दही, शहद, श्रीखंड आदि चढ़ाएं।

वृश्चिक– भोलेनाथ पर लाल गुलाब या लाल कनेर, बेलपत्र अर्पित करें। पंचामृत से अभिषेक करें और ऊं नम: शिवाय का जाप करें।

धनु– पीले फूल या पीले गुलाब, पीले फूलों की माला, बेलपत्र, पीला चंदन अर्पित करें। साथ ही पीला चंदन जल में डाल कर अभिषेक करें।

मकर– नीलकमल या नीले फूल, बेलपत्र, शमी के पत्ते, भांग, धतूरा आदि चढ़ाने चाहिए। जल में काले तिल डाल कर अभिषेक करें।

कुंभ- भांग और धतूरा अर्पित करना चाहिए। शमी के फूल चढ़ाएं और काले तिल डाल कर शिव जी का अभिषेक करें।

मीन– नागकेसर और पीली सरसों अर्पित करें। पीले फूल, गन्ने का रस, केसर या दूध में केसर मिलाकर अभिषेक करना चहिए।

ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव के पूजन में लाल रंग की वस्तु का इस्तेमाल नहीं कर सकते। मगर तीन तरह के लाल फूल कनेर, गुलहड़ और कमल ऐसे हैं, जो भगवान शिव के पूजन में चढ़ाए जा सकते हैं। ये शिव जी प्रिय हैं। इसके अलावा लाल गुलाबी गुलाल का प्रयोग भी कर सकते हैं।

शिवपुराण के रुद्रसंहिता के अनुसार सावन में रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायी होता है। सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देव: शिवात्मका: अर्थात सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं। सभी देवता रुद्र की आत्मा में हैं। पंडित उमाशंकर शास्त्री ने बताया कि रुद्राभिषेक में भगवान शिव के रुद्र अवतार की पूजा होती है। यह भगवान शिव का प्रचंड रूप है।

कहा जाता है कि सावन में रुद्र ही सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं। रुद्राभिषेक से अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है। व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। साथ ही परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।

भगवान शिव जी के पूजन में तमाम वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है। मगर कुछ खास सामग्री भगवान जी की खास प्रिय हैं। धर्म शास्त्रियों के अनुसार गंगाजल, बेलपत्र, दूध, भांग, धतूरा और गन्ने का रस ज्यादा पसंद है। पूजन में इनका प्रयोग अधिक लाभदायी है।

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