भारत और चीन से तेल बेचकर रूस ने तीन महीनों में 24 अरब डॉलर कमाए

नई दिल्ली: यूक्रेन युद्ध के बाद से चीन और भारत को तेल बेचकर रूस ने सिर्फ तीन महीनों में 24 अरब डॉलर की कमाई की है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, चीन ने रूस का तेल, गैस और कोयला खरीदने के लिए महज तीन महीनों में 18.9 अरब डॉलर खर्च किए हैं. यह संख्या एक साल पहले की तुलना में लगभग दोगुनी है.

मार्च से मई 2022 में ही भारत ने रूस का तेल और अन्य ईंधन खरीदने में 5.1 अरब डॉलर खर्च किए जो एक साल पहले की तुलना में पांच गुना से अधिक है.

रूस ने इन तीन महीनों (मार्च-मई) में भारत, चीन से पिछले साल की तुलना में 13 अरब डॉलर ज्यादा कमाए हैं.

चीन, भारत ने रूस की जेबें भरीं

चीन और भारत की ओर से रूस के तेल और अन्य ईंधन पर इस बेतहाशा खर्च से रूस को काफी फायदा पहुंचा है. यूक्रेन पर हमले की वजह से अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस को आर्थिक तौर पर चोट पहुंचाने के लिए जो प्रतिबंध लगाए थे, उस नुकसान से उबरने में चीन और भारत ने काफी मदद की है.

पश्चिमी देशों के रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों से तेल के दाम बढ़े हैं, जिससे महंगाई में इजाफा हुआ है. इससे कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के मंदी में जाने का जोखिम बना हुआ है.

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर की लीड एनालिस्ट लॉरी माइलविर्टे ने कहा, चीन पहले से ही रूस से वह हर जरूरी सामान खरीद रहा है, जिसे वह पाइपलाइन या बंदरगाहों से निर्यात कर सकता है.

लॉरी माइलविर्टे यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस की ईंधन सप्लाई को ट्रैक कर रही हैं. उनका कहना है, भारत अटलांटिक महासागर से पोत के जरिये तेल का सबसे बड़ा खरीदार है.

माइलविर्टे ने कहा, पिछले साल की तुलना में तेल की कीमतें बहुत अधिक है. यहां तक कि रूस खरीदारों को लुभाने के लिए तेल पर छूट भी दे रहा है.

उन्होंने कहा, जून में चीन में तेल का आयात बढ़ा है. भारत ने भी रूस के तेल पर प्रतिबंधों के बावजूद तेल खरीदना जारी रखा. भारत आगामी महीनों में रूस के तेल का आयात बढ़ा सकता है क्योंकि साल के अंत में रूस के तेल पर ईयू के प्रतिबंध लागू होने जा रहे हैं.

मिलविर्टे ने कहा, प्रतिबंधों के बाद से यूरोपीय देशों में तेल की खरीद कम हो रही है. रूस ने कुछ यूरोपीय देशों में गैस की सप्लाई बंद कर दी है.

रूस में पाइपलाइन, भारत में जहाजों के जरिये रूस के तेल की सप्लाई

रूस के चीन और भारत के साथ लंबे समय से व्यापारिक और रणनीतिक संबंध रहे हैं. वह इन देशों को भारी छूट पर तेल भी दे रहा है. साथ में कारोबार को बनाए रखने में स्थानीय मुद्राओं में भुगतान भी स्वीकार कर रहा है.

चीन दुनिया में तेल का सबसे बड़ा खरीदार है. चीन में पाइपलाइन के जरिये तेल की सप्लाई की जाती है. कोरोना लॉकडाउन की वजह से 2022 के शुरुआती महीनों में भले ही चीन में तेल के आयात पर असर पड़ा. लेकिन फिर भी चीन ने रूस के तेल पर बहुत पैसा खर्च किया.

ब्लूमबर्ग के जहाज ट्रैकिंग डेटा के मुताबिक, यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत में रूस के तेल की खपत भी बढ़ी है. भारत ने युद्ध शुरू होने के बाद रूस के एनलपीजी गैस की तीन खेप का आयात किया है जबकि पिछले महीने एक ही खेप का आयात किया गया था.

रायस्टैड एनर्जी एनालिस्ट वेई चेओंग हो ने पिछले महीने कहा था, ऐतिहासिक रूप से भारत, रूस से बहुत ही कम तेल खरीदता था लेकिन यूक्रेन में युद्ध और रूस के तेल पर प्रतिबंधों की वजह से भारत में रूस के तेल का आयात बढ़ा है.

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