उत्तर प्रदेश

मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार डा.के.वी.राजू ने आईवीआरआई के विभिन्न विभागों एवं फार्मों का किया भ्रमण 

बरेली , 09 नवम्बर। भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) में कल उत्तर प्रदेश में माननीय मुख्यमंत्री जी के आर्थिक सलाहकार डा. के.वी. राजू ने संस्थान के विभिन्न विभागों तथा फार्मों का भ्रमण किया तथा आईवीआरआई द्वारा विकसित तकनीकों तथा शोध कार्यों को देखा। इस अवसर पर संस्थान के संयुक्त निदेशक डा. एस.के. सिंह ने संस्थान के कार्यों को विस्तार से बताया। डा. के.वी. राजू ने आईवीआरआई के साथ मिलकर कार्य करने तथा उतरप्रदेश के लोगों के कौशल विकास हेतु प्रशिक्षण तथा पशुचिकित्साधिकारियों को रिफ्रेसर कोर्स की आवश्यकता बतायी।  इस अवसर पर संस्थान के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्रीसुबोध नीरज भी उपस्थित रहे।
अपने संस्थान भ्रमण कार्यक्रम के दौरान डा. राजू ने सर्वप्रथम संस्थान के पालीक्लीनिक भ्रमण किया। डा. अमरपाल ने  पाॅलीक्लीनिक में होने वाले पशुरोगों की जाँचें, नैदानिक सुविधायें तथा उपचार में काम आने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी दी। डा. राजू द्वारा पालीक्लीनिक द्वारा किये जा रहे कार्यों की प्रशंसा की। उन्होंने पाॅलीक्लीनिक प्रभारी डा. अमरपाल से जिले तथा मंडल स्तर पर इस प्रकार के पाॅलीक्लीनिक को तैयार करने में होने वाले व्यय के बारे में भी बात की।
संस्थान के मानकीकरण विभाग के बारे मे विभागाध्यक्ष डा. पी. धर ने जानकारीदेते हुए बताया कि यह विभाग पूरे देश के पशुओं के टीके चाहे वह देश में निर्मित हो या आयातित हो की जांच करता है। जब तक यह विभाग टेस्ट रिपोर्ट नहीं दे देता तब तक वह वैक्सीन बाजार में उपलब्ध नही हो पाती। इस पर डा. राजू ने कहा कि कितनी वैक्सीनआयात होती हैं तथा देश में इनकी कितनी माँग है। उन्होंने कहा किवह उत्तर प्रदेश में वैक्सीन एवं दवाओं का एक साथ अधिक मात्रा में निमार्ण करना चाहतेहैं तथा उनमें कौन-कौनसी ऐसी वैक्सीन बन सकतीहैं। उन्होंने वैक्सीन निमार्ण के लिए मानकीकरण विभाग से सहयोग की अपेक्षा भी की।
जैविक उत्पाद विभाग के बारे में बताते हुए विभागाध्यक्ष डा. रविकान्त अग्रवाल ने बताया कि यह विभाग सन् 1936 में स्थापित किया गया जो संस्थान का सबसे पुराना विभाग है। डा. रविकान्त ने बताया कि देश में जितने भी टीके और नैदानिक का इस्तेमाल हो रहा है वह आईवीआरआई ने विकसित किये हैं। आज के दिन में संस्थान 12 नैदानिकों का उत्पादन कर रहा है। डा. राजू ने जैविक विभाग द्वारा अर्जित किये गये राजस्व के बारे में जानकारी ली तथा जैविक उत्पाद विभाग द्वारा किये गये शोध कार्यों को सराहा।
इसके अतिरिक्त डा. के.वी. राजू ने संस्थान के डेयरी तथा पिग फार्म का भी भ्रमण किया।जहाँ पर इन फार्मो के प्रभारी डा. ए.के. पाण्डेय ने डेयरी तथा डा. अनुज चैहान ने पिग के बारे में जानकारी दी। डा. राजू ने कम पशुओं की संख्या से अधिक उत्पादन बढ़ाने के बारे  तथा पिगलेट मिनेएचर फार्म (छोटे स्तर पर) के बारे में जानकारी प्राप्त की।                           बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट
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