उत्तर प्रदेश

रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय में इम्पोर्टेंस ऑफ मल्टीलिंन्गुअलिस्म पर वर्कशाप का आयोजन

बरेली , 07अक्टूबर।महात्मा ज्योतिबा फुले रूहेलखण्ड विश्वविद्यालय परिषद् में स्थापित सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस फॉर मल्टीलिन्गुअल स्टडीज के द्वारा इम्पोर्टेंस ऑफ़ मल्टीलिन्गुअलिस्म (बहुभाषा का महत्व) विषय पर एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमे मुख्य वक्ता ताइवान से आयी मंडारिन भाषा की विशेषज्ञ मिस सी. सी. हुंआग एवं जर्मन भाषा के विशेषज्ञ डॉ० रजनीश गुप्ता ने अपनी भाषाओँ को सीखने के महत्व पर अपने विचार प्रस्तुत किये I कार्यक्रम में विशिष्ट अथिति प्रोफेसर शोभना सिंह डीन, इंजीनियरिंग एवं प्रोफेसर एस. एस. बेदी डायरेक्टर इंटरनेशनल रिलेशन उपस्थित रहे । कार्यशाला में आये सभी छात्रों को मिस हुंआग ने पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बहुभाषा के महत्व को विस्तार से बताते हुए यह भी समझाया की ये विदेशी भाषाएँ छात्रों को उनके भविष्य में उनको रोजगार प्राप्त करने में सहायक होंगी यदि छात्र बहुभाषा ज्ञान रखता है तब उसके लिए कई रोजगार के अवसर बढ़ जाते हैं ना केवल देश में बल्कि विदेश में भी बहुभाषा जानने वाले लोगों की मांग हरदिन बढती जा रही हैं उन्होंने बहुत सारी वीडियो के माध्यम से भी बहुभाषा को सीखने के लिए और उसके फायदे बताने के लिए छात्र एवं छात्राओं का मार्गदर्शन किया । जर्मन भाषा के विशेषज्ञ डॉ० रजनीश गुप्ता ने अपने वक्तव्य में जर्मन, फ्रेंच, स्पेनिश जैसी विदेशी भाषाओं को सीखने के फायदे एवं रोजगार के अवसरों में वृद्धि में सहायक होने के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला । उन्होंने बताया की भाषा संस्कृति की वाहक होती है जब हम दूसरी भाषा को पढ़ते एवं जानते है तब हम दूसरे देश की संस्कृति को भी बहुत करीब से जानने लगते हैं । इस तरह विदेशी भाषाओं को दूसरे देशों की संस्कृति और कार्यप्रणाली के बारे में भी जान पाते हैं जो हमे उन देशों में जाकर काम करने में सहायता प्रदान करती हैं। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रोफेसर शोभना सिंह ने छात्रों को विस्तार पूर्वक बढती हुई तकनीकी और तकनीकी से जुड़े ज्ञान के बारे में बताते हुए छात्रों को समझाया कि आज भारत में सभी देश निवेश कर रहे हैं । मल्टीनेशनल कंपनीज की संख्या बढती जा रही है । ऐसी कम्पनियों को तकनीकी ज्ञान रखने वाले छात्र तो चाहिए ही साथ ही अपने देश की भाषा जानने वाले लोगों की आवश्यकता भी अधिक रहती है ।यदि उनकी देश की भाषा जानने वाले लोग भारत में मिलते हैं तो ऐसी कम्पनियां उन्हें प्रमुखता से काम देती हैं । प्रोफेसर एस .एस. द्बिवेदी ने बताया कि हमारे विश्वविद्यालय को NACC ने A++ दिया है विश्वविद्यालय के कई देशों से करार हो चुके है, जिनमे ताइवान, अमेरिका, ईरान, नेपाल अदि देश हैं । विश्वविद्यालय तेजी से प्रगति कर रहा है विश्वविद्यालय में पढाये जाने वाले विदेशी भाषाओँ के कोर्स सभी छात्रों के लिए एक सुनहरा अवसर हैं ।
सेण्टर कोऑर्डिनेटर एवं विभागाध्यक्ष डॉ० अनीता त्यागी ने सभी कोर्सों की विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि विभिन्न भाषाओं में सर्टिफिकेट , डिप्लोमा और पीजी डिग्री पाठ्यक्रम में एडमिशन शुरू हो गये हैं l सेंटर फॉर मल्टीलींगुअल स्टडीज़ में पढ़ाई जाने वाली विदेशी भाषाओं में मैंडरिन-चाइनीस , जर्मन, स्पेनिश और फ़्रेंच भाषाओं के एक साल ( दो सेमेस्टर) के चार डिप्लोमा कोर्स — प्रोफ़िशिएन्सी इन जर्मन , प्रोफ़िशिएन्सी इन फ़्रेंच , प्रोफ़िशिएन्सी इन मण्डरिन और प्रोफ़िशिएन्सी इन स्पैनिश शुरू किए हैं l इसके साथ एक सेमेस्टर के इंगलिश भाषा के दो सर्टिफिकेट कोर्स कम्युनिकेटिव स्किल्स, इंगलिश फॉर बिज़नेस और चार सेमेस्टर के पाली और फंक्शनल हिन्दी के दो पीजी डिग्री (MA in Functional Hindi and MA in Pali) कोर्स भी प्रारंभ किए गए हैं l डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स में बारहवीं पास छात्र व छात्राएँ एडमिशन ले सकती हैं l MA कोर्स के लिए ग्रेजुएशन होना आवश्यक है l नई शिक्षा नीति के अनुसार अब छात्र एक साथ दो कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं , जिसका लाभ ये होगा कि छात्र एक कोर्स करने के साथ साथ किसी भी भाषा का दूसरा कोर्स करने पर कम समय में ही विदेशी भाषा में भी पारंगत हो सकते हैं।सभी कोर्स बहुत ही कम शुल्क के साथ प्रारंभ किए गए हैं तथा इच्छुक विद्यार्थी मानविकी विभाग में संपर्क कर या mjpru.ac.in पर जाकर और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं l
कार्यशाला में छात्रों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया । कार्यशाला को लेकर छात्रों में विशेष उत्साह देखने को मिला, हाल में सभी सीट भरने के बाद छात्रों ने कारपेट पर बैठ कर और हॉल के बाहर खड़े होकर कार्यशाला में हिस्सा लिया I
कार्यशाला के अंत में डॉ अनीता त्यागी ने सभी भाषा के विशेषज्ञ, अतिथियों व छात्र छात्राओं का धन्यवाद दिया । मंच संचालन उत्तम मित्तल व दिव्यांशु तिवारी ने किया ।

बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

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