लखनऊ में कजरी दंगल का आयोजन

लखनऊ: पारूल्स ग्रामोफोन हमेशा त्यौहारों को पारंपरिक ढंग से मनाने के लिए जाना जाता है। लुप्त होती जा रही विधाओं के बारे में , चाहे वो संगीत हो , स्वाद हो या साहित्य, यहां हमेशा पुरानी जड़ों से जुड़ने की बात होती है। ख़ास मिडिल एज और बुजुर्गों के लिए ये जगह आज के सब क्लब से एकदम अलग है। इसी उपलक्ष्य में आज यहां कजरी दंगल का आयोजन हुआ।

कजरी का जन्म, इसके अखाड़े,कहां कैसे गाई जाती है इन सब विषय पे चर्चा के बाद सवाली जवाबी दंगल होगा। दो टीम होंगी जो गाएंगी। ककहरा और उल्टा ककहरा की विधि से होगा ये दंगल। प्रसिद्ध अखाड़ों के बारे में जानकारी और कजरी देस राग, विहाग पे आधारित होती हैं इसपे भी चर्चा होगी। शहनाई कजरी गायन में प्रमुख वाद्य यंत्र होता है। जलेबी खाने की प्रथा थी कजरी उत्सवों में तब ,उसका भी स्वाद चखा जाएगा।

कचौरी सब्ज़ी, फरा , लड्डू जैसे देसी पारंपरिक स्वाद होगा। झूला झूल के, कजरी, सावनी (अवधी) और मल्हार (बृज ) ,सिल बट्टे पे पिसी हरी पत्ते की मेहंदी व आलता महावर भी लगाया जायेगा। शुद्ध सात्विक भोजन और विचार को पसंद करने वाले ही ग्रामोफोन में आते हैं। इस कार्यक्रम को आयोजित किया पारुल शर्मा ने। उपस्थित थीं डा सीमा सिंह, ज्योति शोभा, वनिता शर्मा, प्रेरणा तिवारी, सुशीला, शुभा त्रिपाठी,कमला देशमुख, रूमा खन्ना, सविता विश्वकर्मा, अंजलि आर्या, कविता जैन, नीलम यादव, इत्यादि।

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