धर्मलाइफस्टाइल

शादी में दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे को क्यों पहनाते हैं वरमाला? जानें

विवाह इंसान के जीवन का सबसे अधिक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। सनातन धर्म में 16 संस्कार में से एक संस्कार विवाह भी है। विवाह के दौरान लड़का और लकड़ी और दो परिवारों के लोग एक बंधन में बंध जाते हैं। विवाह के समय कई तरह की रस्में की जाती हैं। इनमें से एक रस्म है वरमाला। सात फेरे लेने से पहले वर और वधू एक दूसरे को वरमाला पहनाते हैं। इस रस्म को खूब अच्छे तरीके से पूरा किया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि शादी के दौरान वर और वधू एक दूसरे को वरमाला क्यों पहनाते हैं। अगर नहीं पता तो आइए इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि शादी में दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे को जयमाला क्यों पहनाते हैं?

ये है धार्मिक महत्व

पौराणिक कथाओं में विवाह के दौरान दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे को जयमाला पहनाने का वर्णन देखने को मिलता है। मान्यता के अनुसार, धन की देवी मां लक्ष्मी ने जगत के पालनहार भगवान विष्णु को वरमाला (जयमाला) पहनाकर पति के रूप में स्वीकार किया था।

इसी वजह से विवाह के दौरान वर और वधू एक दूसरे को वरमाला पहनाते हैं। भगवान श्रीराम और मां सीता और देवों के देव महादेव और मां पार्वती के विवाह उल्लेख में भी वरमाला का वर्णन देखने को मिलता है। जयमाला की रस्म को पूरा करने के बाद दूल्हा और दुल्हन सात फेरे लेते हैं और सात जन्मों के बंधन में बंध जाते हैं।

वरमाला का मतलब

शादी में दूल्हा और दुल्हन के द्वारा एक दूसरे को वरमाला पहनाने का मतलब यह है कि दोनों एक-दूसरे को जीवन में सदैव पति और पत्नी के रूप में स्वीकार करना है और इस दौरान वर और वधू, परिवार के सदस्य, रिश्तेदार एक दूसरे को शादी की शुभकामनाएं देते हैं।

फूलों की होती है वरमाला

वरमाला फूलों से बनी हुई होती है। उत्तर भारत में जहां लाल और सफेद गुलाबों वाली वरमाला ज्यादा देखने को मिलती है, वहीं दक्षिण भारत में इस माला को बनाने के लिए गेंदे या दूसरे नांरगी रंगों के फूलों का प्रयोग किया जाता है।

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