स्पेस से दिखेगा अदाणी का ग्रीन एनर्जी पार्क, 20 लाख लोगों के घर होगें जगमग COP के जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट
दुनिया भर में रिन्यूबल एनर्जी को प्राथमिकता देने के मामले में एशिया सबसे तेज़ी से उभर रहा है और इसमें में भारत की प्रभावशाली प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। हाल ही में अदाणी ने दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन एनर्जी पार्क बनाने की घोषणा की है चुनौतीपूर्ण रण रेगिस्तान में 726 वर्ग किमी को कवर करने वाली यह पार्क अंतरिक्ष से भी दिखाई देगा।
अदाणी का ये ग्रीन एनर्जी पार्क से 20 लाख लोगों के घर बिजली पहुंचेगी और इसके लिए इस पार्क में 30 गीगावॉट अक्षय उर्जा का उत्पादन होगा। हम आपको ये भी बता दें कि ये प्रोजेक्ट दुनिया के सबसे बड़े बंदरगाहों में शुमार मुंद्रा से सिर्फ 150 किमी दूरी पर बन रहा है। इतना ही नहीं ये दुनिया में सोलर और विन्ड एनर्जी का एक बड़ा इंटीग्रेटेड रिन्यूएबल एनर्जी मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम होगा।
एशिया की वर्ल्ड रिन्यूबल एनर्जी कैपेसिटी का 52.5% का प्रतिनिधित्व करता है और इस भौगोलिक क्षेत्र में रिन्यूबल एनर्जी के मामले में प्रमुख योगदान चीन, भारत और वियतनाम का है। रणनीतिक और भौगोलिक स्थिति, समुद्र तट के होने से विन्ड और सोलर एनर्जी के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनाती है इस लिहाज से रिन्यूबल एनर्जी प्रोजेक्ट के लिए ये एक शानदार जगह है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा खपत वाला देश है। भारत की रिन्यूबल एनर्जी स्थापित क्षमता (बड़े हाइड्रो सहित) में विश्व में चौथे स्थान पर है। भारत की स्थापित गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता पिछले 8.5 वर्षों में 396% बढ़ी है और 176.49 गीगावॉट (बड़े हाइड्रो और परमाणु सहित) से अधिक है, जो देश की कुल क्षमता का लगभग 43% है (जुलाई 2023 तक)। भारत ने 2022 में रिन्यूबल एनर्जी में 9.83% की वृद्धि हासिल की है। ये दुनिया का सबसे बड़ा रिन्यूबल एनर्जी पार्क बनते ही भारत रिन्यूबल एनर्जी के उत्पादन और इस्तेमाल में पहले पायदान की दौड़ में शामिल हो जाएगा।
अब सवाल ये भी बनता है कि सर्वाधिक रिन्यूबल एनर्जी वाले देश कौन से है तो हम आपको बता दें कि आइसलैंड सर्वाधिक रिन्यूबल एनर्जी वाला देश है । एक आंकलन के अनुसार इसकी 86.87% ऊर्जा रिन्यूबल सोर्स से आती है। नॉर्वे सर्वाधिक रिन्यूबल एनर्जी वाला दूसरा देश है, इसकी 71.56% ऊर्जा रिन्यूबल सोर्स से आती है। रिन्यूबल ऊर्जा की ग्रास फाइनल कंजप्शन में स्वीडन, फिनलैंड और लातविया भी रेस में है।
भारत का लक्ष्य 2030 तक पांच मिलियन टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना है। भारत ने दशक के अंत तक देश की अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45% से कम करने, रिन्यूबल एनर्जी से 2030 तक 50% संचयी विद्युत स्थापित करने और 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन हासिल करने का लक्ष्य रखा है और इसे हासिल करने के लिये उसने 5 लाख मेगावॉट ग्रीन एनर्जी क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। इसमें से आधी बिजली रिन्यूबल एनर्जी सोर्स से आएगी साथ ही कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी आएगी।
अदाणी समूह के इस प्रोजेक्ट से भारत की ग्रीन एनर्जी क्षमता में इजाफा होने की उम्मीद है, इसके अलावा COP में जलवायु को लेकर की गई प्रतिज्ञाओं को पूरा करने में भी मदद मिलेगी।