हाथी में सवार होकर आ रही हैं इस वर्ष मां दुर्गा,जानिए घटस्थापना का मुहूर्त और विधि

नई दिल्ली: शारदीय नवरात्रि का त्योहार आने वाला है. यह त्योहार मुख्यत: देवी दुर्गा को समर्पित किया जाता है. इस त्योहार में 9 दिन मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है और दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है.नवरात्रि साल में चार बार मनाई जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, शारदीय नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनायी जाती है.

इस साल की शारदीय नवरात्रि है काफी खास

पंचांग के अनुसार, इस साल का शारदीय नवरात्रि काफी खास है। क्योंकि इस बार नवरात्रि सोमवार के दिन से शुरू हो रहे हैं। यह दिन काफी शुभ माना जाता है। इसके साथ ही जब नवरात्रि रविवार या सोमवार के दिन शुरू होते हैं, तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। हाथी पर सवार होने से सर्वत्र सुख सम्पन्नता बढेगी। विश्वभर में शांति के प्रयास सफल होंगे। इसके साथ ही देशभर के लिए यह नवरात्रि शुभ साबित होगी।

हिंदू धर्म में नवरात्रि का काफी महत्व होता है. वैसे तो सालभर में कुल चार नवरात्रि आती है लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि का काफी खास महत्व होता है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. शारदीय नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होते हैं. माना जाता है कि इस दौरान मां दुर्गा भक्तों के सभी कष्टों को दूर करती हैं और मनवांछित फल देती हैं. भारत के सभी राज्यों में नवरात्रि के त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है. ऐसे में नवरात्रि को पहले दिन को घटस्थापना भी कहा जाता है. तो आइए जानते हैं इस बार शारदीय नवरात्रि कब से शुरू हैं, तिथि, शुभ मुहूर्त, घटस्थापना का मुहूर्त…

शारदीय नवरात्रि पूजा का समय (Shardiya Navratri 2022 Puja Timings)

आश्विन नवरात्रि सोमवार, सितम्बर 26, 2022 को

प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 26, 2022 को सुबह 03 बजकर 23 मिनट से शुरू
प्रतिपदा तिथि समाप्त – सितम्बर 27, 2022 को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर खत्म

शारदीय नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त (Shardiya Navratri 2022 Ghatasthapana Muhurat)

आश्विन घटस्थापना सोमवार, सितम्बर 26, 2022 को

घटस्थापना मुहूर्त – सुबह 06 बजकर 28 मिनट से 08 बजकर 01 मिनट तक

अवधि – 01 घण्टा 33 मिनट्स

घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – शाम 12 बजकर 06 मिनट से शाम 12 बजकर 54 मिनट तक

अवधि – 00 घण्टे 48 मिनट्स

कन्या लग्न प्रारम्भ – सितम्बर 26, 2022 को सुबह 06 बजकर 28 मिनट स शुरू
कन्या लग्न समाप्त – सितम्बर 26, 2022 को सुबह 08 बजकर 01 मिनट पर खत्म

शारदीय नवरात्रि पर बनने वाले शुभ योग (Shardiya Navratri 2022 Shubh Yog)

विजय मुहूर्त– शाम 02 बजकर 30 मिनट से शाम 03 बजकर 18 मिनट तक

निशिता मुहूर्त- सितम्बर 27, सुबह 12 बजकर 06 मिनट से सितम्बर 27, सुबह 12 बजकर 54 मिनट तक

 

नवरात्रि में घटस्थापन की विधि: (Navratri Ghat Isthapana Vidhi)

नवरात्रि में देवी की पूजा का फल तभी मिलता है जब नियमों का ध्यान रखा जाए. नवरात्र के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें.

कलश स्थापना के लिए एक मिट्‌टी के पात्र में पवित्र मिट्‌टी रखें और उसमें जौ बोएं.

 

पूजा स्थान या ईशान कोण में कलश स्थापन शुभ मानी जाती है. यहां गंगाजल छिड़कर साफ सफाई कर लें. पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं. इस पर मां दुर्गा की तस्वीर स्थापित करें.
एक तांबे या मिट्‌टी के कलश में गंगा जल या स्वच्छ जल भरकर इसमें सिक्का, अक्षत सुपारी, लौंग के जोड़ा, दूर्वा घास, डालें. कलश के मुख पर मौली बांधें
एक नारियल पर लाल चुनरी को मौली से बांध दें. कलश में आम के पत्ते लगाकर उसपर ये नारियल रखे दें.
अब जौ वाले पात्र और कलश को मां दुर्गा की फोटो के दायीं ओर स्थापित कर दें. कलश स्थापना पूरी कर मां जगदंबा की पूजा करें.

घटस्थापना पूजन सामग्री (Ghatasthapana Pujan Samagri)

सप्त धान्य के लिए एक बड़ा मिट्टी का बर्तन, सप्त धान्य के लिए साफ मिट्टी, 7 अलग-अग तरह के अनाज, छोटा मिट्टी या पीतल का घड़ा, कलश को भरने के लिए गंगा जल, कलावा, इत्र, सुपारी, कलश में रखने के लिए सिक्का, आम या अशोक के 5 पत्ते, कलश को ढकने के लिए एक ढक्कन, अक्षत, बिना छिला हुआ नारियल, नारियल को बांधने के लिए लाल कपड़ा, गेंदे के फूल, दूर्वा घास.

घटस्थापना विधि (Ghatasthapana Vidhi)

मां दुर्गा और अन्य देवताओं का आह्वान करने से पहले कलश तैयार किया जाता है.

अनाज बोने के लिए सबसे पहले मिट्टी का चौड़ा बर्तन लें. मिट्टी की पहली परत को बर्तन में फैलाएं और फिर इसमें अनाज डालें. अब मिट्टी और अनाज की दूसरी परत डालें. अब मिट्टी की तीसरी और आखिरी परत को बर्तन में फैला दें. अगर जरूरी हो तो मिट्टी को सेट करने के लिए बर्तन में थोड़ा पानी डालें.
अब कलश को कलावे से बांधें और इसमें ऊपर तक गंगाजल भर दें. पानी में सुपारी, इत्र, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्के डालें. कलश को ढकने से पहले अशोक के 5 पत्तों को कलश के किनारे पर रख दें.
अब नारियल लें और इसे लाल कपड़े से बांध लें. इसके बाद इसपर कलावा लपेट लें. इसके बाद नारियल को कलश के ऊपर रखें. इसके बाद मां दुर्गा से प्रार्थना करें और इस कलश को नौ दिनों तक मां दुर्गा के आगे रख दें. इसके बाद दीपक जलाएं, फल अर्पित करें और अंत में मां दुर्गा की आरती करें.

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