12 में हो गए थे फेल, गर्लफ्रेंड की शर्त ने बदल दी जिंदगी बन गए IPS अफसर, पढ़िए मनोज शर्मा की कहानी
IAS यह नाम अपने आप में एक खास मायने रखता है. देश में लाखों युवाओं का सपना आई ए एस ऑफिसर बनने का होता है.हर साल लाखों युवा आईएएस की परीक्षा देते हैं और कुछके हाथ सफलता लगती है और कुछ असफल हो जाते हैं. कुछ विद्यार्थी और असफलता से हार कर हार मान लेते हैं और कुछ लगातार कोशिश करते हैं जब तक वह कामयाब नहीं हो जाते. जिद्द से अपनी मंजिल को कैसा हासिल किया जाए और फेल होने के बाद करियर खत्म नहीं हो जाता, ये सीख मिलती है आईपीएस मनोज कुमार शर्मा की संघर्ष की कहानी से।
2005 बैच के महाराष्ट्र कैडर से आईपीएस बने मनोज कुमार शर्मा मुंबई में एडिशनल कमिश्रनर ऑफ वेस्ट रीजन के पद पर तैनात हैं। मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में जौरा तहसील के बिलगांव गांव में जन्मे मनोज 12वीं तक पढ़ाई में मामूली छात्र रहे। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक मनोज बताते हैं कि ‘क्लास में आने वाले मार्क्स जिंदगी में सफलता का पैमाना नहीं होते। मैंने 10वीं का एग्जाम तीसरी डिविजन के साथ पास किया था। 11वीं क्लास में भी मेरी सेकंड डिविजन आई थी।’ हालांकि, उन्होंने इसे कभी भी खराब अकादमिक प्रदर्शन को जीवन में रुकावट नहीं बनने दिया।
एक इंटरव्यू उन्होंने बताया, उनका प्लान 12वीं में जैसे-तैसे पास होकर, टाइपिंग सीखकर कहीं न कहीं जॉब ढूंढने का था। उन्होंने 12वीं की परीक्षा में नकल करने का भी पूरा प्लान बना रखा था। लेकिन एसडीएम ने स्कूल में सख्ती की और नकल नहीं होने दी। और मैं 12वीं में फेल हो गया।
इसके बाद मनोज शर्मा ने उस SDM की तरह बनने की ठान ली। और फिर संघर्ष का रास्ता चुना और आगे बढ़ते गए.आर्थिक संकट ने मनोज की राह मे काफी रोड़े डाले। लेकिन उनके संघर्ष, जिद्द और धैर्य के आगे सब बौने साबित हो गए। पैसों की तंगी को दूर करने के लिए शर्मा को बड़े लोगों के कुत्तों की देखभाल करनी पड़ी। लाइब्रेरी में काम करना पड़ा। वह यूपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा में तीन बार फेल हुए। लेकिन चौथे प्रयास में बाजी मार ली।