महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली के एनिमल साइंस विभाग की डॉ. आभा त्रिवेदी ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय बरेली की ओर से प्रीतिनिधत्व किया , इंडोनेशिया और सिंगापुर में शैक्षणिक सहयोग के नए द्वार खोले
बरेली,29 अगस्त। रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय बरेली एनिमल साइंस विभाग की डॉ. आभा त्रिवेदी हाल ही में एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय यात्रा के बाद अपने देश वापस लौटी हैं। यह 7 दिवसीय यात्रा उन्हें इंडोनेशिया और सिंगापुर ले गई, जहां उन्होंने न केवल अपने शोध कार्य को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत किया, बल्कि शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग के नए अवसर भी तलाशे। बाली, इंडोनेशिया में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में डॉ. आभा ने रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करते हुए अपने शोध पत्र को प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि यह उनके लिए एक गर्व का क्षण था, क्योंकि उनकी प्रस्तुति को सम्मेलन में उपस्थित विद्वानों और विशेषज्ञों द्वारा बहुत सराहा गया।
डॉ. आभा ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “यह मेरे लिए एक महत्वपूर्ण अवसर था, जहां मैंने अपने शोध कार्य को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया। सम्मेलन में मेरी प्रस्तुति को व्यापक प्रशंसा मिली एवं बेस्ट presentation अवार्ड भी मिला जिससे मुझे अत्यंत खुशी हुई l
सम्मेलन के दौरान, डॉ. आभा ने बाली स्थित उदयाना विश्वविद्यालय के मत्स्य और समुद्री विज्ञान विभाग का दौरा भी किया। इस दौरे के दौरान, उन्हें विभाग के संकाय सदस्यों से मिलने और उनके साथ विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर मिला। उन्होंने विभाग की अनुसंधान प्रयोगशालाओं और शैक्षणिक गतिविधियों का अवलोकन किया और कहा कि यह अनुभव उनके लिए अत्यंत प्रेरणादायक रहा।
इंडोनेशिया में अपने कार्यक्रमों के समापन के बाद, डॉ. आभा सिंगापुर गईं, जहां उन्होंने सिंगापुर के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय (NUS) का दौरा किया। इस दौरे के दौरान उनकी मुलाकात प्रोफेसर जियांगयोंग हू से हुई, जो अपशिष्ट जल प्रबंधन और उभरते प्रदूषकों के क्षेत्र में एक प्रमुख विशेषज्ञ हैं। दोनों विद्वानों के बीच हुई यह चर्चा बेहद सार्थक और ज्ञानवर्धक रही। चर्चा के दौरान, उन्होंने अपशिष्ट जल प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं और उभरते प्रदूषकों के प्रभाव पर विस्तार से विचार-विमर्श किया। डॉ. आभा ने बताया, “प्रोफेसर जियांगयोंग हू के साथ हुई मेरी बैठक बेहद उत्पादक रही। हमने अपशिष्ट जल प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से चर्चा की, जो मेरे शोध कार्य के लिए अत्यंत मूल्यवान सिद्ध होगी।”
प्रोफेसर हू ने डॉ. आभा को निकट भविष्य में संभावित शोध सहयोग के लिए आश्वासन भी दिया, जिससे दोनों विश्वविद्यालयों के बीच एक नए और सार्थक सहयोग की उम्मीदें बंधी हैं।
इस सफल यात्रा के बाद, डॉ. आभा ने कहा कि इस अनुभव ने उन्हें न केवल अंतरराष्ट्रीय मंच पर रोहिलखंड विश्वविद्यालय का नाम रोशन करने का अवसर दिया, बल्कि वैश्विक शैक्षणिक समुदाय के साथ जुड़ने और नए अनुसंधान सहयोग के रास्ते खोलने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाईl उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय विश्विद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के पी सिंह, सभी शिक्षकों एवं सभी प्रशासनिक अधिकारियों को दिया है। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट