राज्य

इंडस्ट्रियल क्लस्टर- भारत की ग्रीन हाइड्रोजन रणनीति का केन्द्र


भारत में ग्रीन हाइड्रोजन के लक्ष्य को हासिल करने में इंडस्ट्रियल क्लस्टर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। रिन्यूएबल एनर्जी के संसाधन और विकसित इंफ्रास्ट्रक्चर वाले क्षेत्र में स्थित क्लस्टर तीन कारणों से बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन प्रोडक्शन और इंटीग्रेशन को चलाने के लिए जरुरी है। सौर और पवन संसाधनों के पास इंडस्ट्रियल क्लस्टर ग्रीन हाइड्रोजन के निर्माण के लिए उपयुक्त जगह है। रिन्यूएबल एनर्जी से संचालित, यह क्लस्टर एनर्जी ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन की लागत को काफी कम कर सकते हैं। इससे ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन की कुल लागत कम हो जाएगी और उत्पादन के लिए $2/किग्रा से कम लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल इकोसिस्टम, क्लस्टर लोकल इंडस्ट्रियल प्रोसेस और एक्सपोर्ट गतिविधियों के साथ हाइड्रोजन प्रोडक्शन को इंटीग्रेट करते हैं। हाइड्रोजन के प्रोडक्शन समेत स्टील और कैमिकल जैसे उद्योगों में इसका उपयोग, इसे ग्रीन अमोनिया के रूप में एक्सपोर्ट करके क्लस्टर में लॉजिस्टिक चुनौतियों और लागत को कम करता हैं।
एडवांस इंफ्रास्ट्रक्चर में हाइड्रोजन के प्रोडक्शन, स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट के लिए अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर जरुरी है। हाइड्रोजन स्टोरेज टैंक, पाइपलाइन और एक्सपोर्ट टर्मिनल सहित अच्छी तरह से विकसित सुविधाओं वाले क्लस्टर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों मांगों को पूरा करने के लिए तैयार हैं।
गुजरात का मुंद्रा क्लस्टर भारत की इंडस्ट्रियल क्लस्टर स्ट्रैटेजी का एक बेहतरीन उदाहरण है। यह कच्छ के महान रण (जीआरके) के पास स्थित है, जहां रिन्यूएबल एनर्जी के संसाधनों वाला एक नमक दलदल है। मुंद्रा क्लस्टर से सिर्फ 150 किलोमीटर की दूरी पर दुनिया का सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी पार्क विकसित किया जा रहा है। 30 गीगावाट खावड़ा फैसिलिटी पूरी तरह से तैयार होने पर सोलर पैनल और विंड टर्बाइन से 4 करोड़ 80 लाख टन सीओटू एमिशन रोकने और 15 हजार 200 से ज्यादा ग्रीन जॉब के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
रिन्यूएबल एनर्जी के अलावा, मुंद्रा कैमिकल, सीमेंट, वनस्पति तेल और खाद जैसे उद्योगों के साथ हाइड्रोजन प्रोडक्शन के इंटीग्रेशन के लिए एक प्लेटफ़ॉर्म तैयार करता है। यह क्लस्टर मुंद्रा के प्रमुख पोर्ट के पास है, जिससे ग्रीन हाइड्रोजन और अमोनिया को वैश्विक बाजारों तक पहुंचाना भी आसान हो जाएगा। रिन्यूएबल एनर्जी, इंडस्ट्रियल प्रोसेस और एडवांस इंफ्रास्ट्रक्चर का इंटीग्रेशन, मुंद्रा को भारत के क्लीन एनर्जी चेंज में भविष्य के औद्योगिक समूहों का एक मॉडल बनाता है।
भारत का ग्रीन हाइड्रोजन भविष्य
इंडस्ट्रियल क्लस्टर भारत की ग्रीन हाइड्रोजन रणनीति के केंद्र में हैं। इससे स्थायी नौकरियां पैदा हो सकती हैं और एमिशन में बड़े पैमाने पर कटौती हो सकती है। ये क्लस्टर न सिर्फ ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए स्केलेबल मॉडल खड़े करते हैं बल्कि वे इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए आधार भी तैयार करते हैं जो घरेलू जरूरतों और वैश्विक पहल, दोनों का समर्थन कर सकते हैं।
ग्रीन हाइड्रोजन की क्षमता को पूरी तरह से अनलॉक करने के लिए, भारत को कई चुनौतियों का समाधान करना होगा। प्रोडक्शन और ट्रांसपोर्ट लागत को कम करना, इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाना और सपोर्टिंग रेगुलेटरी फ्रेमवर्क तैयार करना, सबसे ज्यादा जरुरी है। इन मुश्किलों पर काबू पाने से यह सुनिश्चित होगा कि ग्रीन हाइड्रोजन भारत के सस्टेनेबल टारगेट का समर्थन कर सकता है।

नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया The Lucknow Tribune के  Facebook  पेज को Like व Twitter पर Follow करना न भूलें... -------------------------