एसजीपीजीआई ने विकसित की नई तकनीक, कांबिनेशन थेरेपी से पित्ताशय कैंसर के रोगियों की बढ़ रही उम्र
लखनऊ: संजय गांधी पीजीआई के विशेषज्ञों ने पित्ताशय (गाल ब्लैडर) के कैंसर का इलाज करने के लिए एक नई तकनीक विकसित की है, जो महंगी इम्यूनोथेरेपी का एक प्रभावी विकल्प साबित हो रही है। इस तकनीक से इलाज की लागत 30,000 से 40,000 रुपये के बीच होती है, जबकि इम्यूनोथेरेपी में 18 से 20 लाख रुपये तक खर्च होते हैं। यह कांबिनेशन थेरेपी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी का संयोजन है, जो रोगियों की उम्र बढ़ाने और उनकी समस्याओं को कम करने में मदद कर रही है।
संजय गांधी पीजीआई के रेडियोथेरेपी विभाग की प्रो. सुषमा अग्रवाल ने पित्ताशय कैंसर के 140 रोगियों पर इस तकनीक का अध्ययन किया, जिनमें कैंसर का फैलाव कम था। इस इलाज से 80% मरीजों में सकारात्मक परिणाम देखने को मिले, और पारंपरिक कीमोथेरेपी से जीवनकाल दोगुना बढ़ा।
पित्ताशय कैंसर के उपचार में सर्जरी केवल 10% रोगियों के लिए संभव है, क्योंकि अधिकांश मामलों में कैंसर दूसरे अंगों में फैल चुका होता है। इस नई तकनीक ने इलाज की लागत को काफी घटाया है, जिससे अधिक मरीजों को फायदा हो सकता है।
भारत में पित्ताशय कैंसर विशेष रूप से महिलाओं में कम उम्र में देखने को मिल रहा है। यह बीमारी 45 से 49 साल की उम्र में महिलाओं में सबसे ज्यादा होती है, और पुरुषों में यह 55 से 59 साल की आयु में प्रकट होती है।
पित्ताशय कैंसर के कारणों में अनुवांशिकता, पित्त की थैली में कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर, पित्त पथरी, मोटापा, धूम्रपान, और दूषित जल शामिल हैं। इस कैंसर के सामान्य लक्षणों में पेट के दाहिने ऊपरी हिस्से में दर्द, भूख में कमी, तेजी से वजन घटना, अपच, उल्टी, और त्वचा तथा आंखों का पीला पड़ना शामिल हैं।