आईवीआरआई में 12 राज्यों के कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ तीसरी राष्ट्रीय इंटरफेस बैठक का सफल आयोजन
बरेली, 06 अगस्त। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई), इज्जतनगर द्वारा देश के चार प्रमुख कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी) क्षेत्रों–(पुणे जोन-8), (जबलपुर जोन-9), (हैदराबाद जोन-10) एवं (बेंगलुरु जोन-11) से संबंधित 12 राज्यों के कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ तीसरी राष्ट्रीय इंटरफेस बैठक का सफल आयोजन हाइब्रिड मोड में किया गया। कार्यक्रम “विकसित भारत 2047” के दृष्टिकोण के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों, वैज्ञानिकों और क्षेत्रीय विशेषज्ञों सहित कुल 271 प्रतिभागियों ने सहभागिता की।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक (कृषि प्रसार) डॉ. राजबीर सिंह, ने कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं अटारी की राष्ट्र निर्माण में भूमिका को रेखांकित करते हुए आईवीआरआई द्वारा साझा मंच उपलब्ध कराने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने प्रौद्योगिकी मूल्यांकन एवं प्रदर्शन में केवीके की केंद्रीय भूमिका का उल्लेख करते हुए ऐसी बैठकें नियमित रूप से आयोजित करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने “आउटस्टैंडिंग केवीके नेटवर्क के माध्यम से उत्कृष्टता के द्वीप” विकसित करने, मंत्रालयों के साथ सहयोग बढ़ाने, और आईवीआरआई के साहित्य को स्थानीय भाषाओं में अनुवादित कर किसानों तक पहुँचाने का सुझाव दिया। साथ ही, जलवायु साक्षरता, मिथेन शमन, सेक्स सॉर्टेड सीमेन जैसी तकनीकों को ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ावा देने की आवश्यकता बताई।
संस्थान निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने अपने उद्बोधन में संस्थान की प्रमुख उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए बताया कि आईवीआरआई देश की पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन प्रणाली को मजबूत आधार प्रदान कर रहा है। उन्होंने अनुसंधान प्राथमिकताओं के निर्धारण में अटारी व कृषि विज्ञान केंद्र से प्राप्त फीडबैक को आवश्यक बताया। उन्होंने पशु पालन विशेषज्ञों के लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रम, प्रमाणपत्र, पीजी डिप्लोमा प्रोग्राम की जानकारी दी और वैज्ञानिकों व किसानों के बीच संवाद को सशक्त करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी बताया कि यह बैठक इस श्रृंखला की तीसरी कड़ी है जो पूर्व में तैयार की गई रणनीतिक कार्ययोजनाओं पर आधारित है।
बैठक में स्वागत भाषण डॉ. रूपसी तिवारी, संयुक्त निदेशक (प्रसार शिक्षा), आईवीआरआई द्वारा दिया गया, जिसमें उन्होंने प्रतिभागियों का परिचय देते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होने कहा कि विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों ने आईवीआरआई से खेत पर परीक्षण (ओएफटी), अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन (एफएलडी) एवं अनुकूलनीय पशुपालन तकनीकों के एसओपी व पीओपी सहित तकनीकी सहयोग की अपेक्षा जताई। साथ ही कृषि विज्ञान केन्द्रों के कार्मिकों, पशु चिकित्सकों एवं पशुपालकों हेतु प्रायोगिक प्रशिक्षण, टीके, कृमिनाशक, खनिज मिश्रण एवं निदान उपकरणों की मांग की गई। फीड एवं चारा तकनीकों–जैसे कम लागत वाला राशन, साइलेज, टीएमआर, बाईपास पोषक तत्व आदि पर विशेष जोर रहा।
तकनीकी सत्र-I में डॉ. बबलू कुमार (प्रभारी, आईटीएमयू) ने संस्थान की बौद्धिक संपदा पर प्रस्तुति दी। डॉ. बृजेश कुमार ने प्रजनन स्वास्थ्य प्रबंधन पर वैज्ञानिक पद्धतियों को साझा किया। डॉ. एल.सी. चौधरी ने पोषण प्रबंधन एवं संतुलित आहार निर्माण पर जानकारी दी जबकि डॉ. अनुज चौहान ने पशुपालन प्रबंधन रणनीतियों पर प्रकाश डाला।
तकनीकी सत्र-II में पुणे, जबलपुर, हैदराबाद व बेंगलुरु के अटारी निदेशकों ने अपने क्षेत्रीय अनुभव साझा किए एवं संस्थान के साथ सहयोग की गहन रुचि व्यक्त की। इसके पश्चात इंटरएक्टिव सत्र में केवीके प्रतिनिधियों, एसएमएस व वैज्ञानिकों द्वारा जमीनी सवाल पूछे गए जिनका आईवीआरआई विशेषज्ञों द्वारा उत्तर दिया गया।
बैठक में फीड एवं चारा प्रबंधन के तहत क्षेत्रीय खनिज मिश्रण, साइलेज यूनिट, टीएमआर मशीन, ड्राई मैटर कैलकुलेटर, व लीस्ट कॉस्ट राशन सॉफ़्टवेयर जैसी तकनीकों की माँग रही। पशु स्वास्थ्य में एलएसडी, ब्लूटंग, मैस्टाइटिस जैसे रोगों के टीकों और किफायती निदान किट पर चर्चा हुई। प्रजनन प्रबंधन में सेक्स-सॉर्टेड सीमेन की सुलभता, नस्ल शुद्ध बकरियाँ, तथा गिर गायों में बांझपन निदान उपकरण की आवश्यकता बताई गई। वन्य व आवारा पशु प्रबंधन के अंतर्गत बंदर, जंगली सूअर, कुत्तों की जनसंख्या नियंत्रण एवं जंगली पशुओं की नसबंदी के समाधान सुझाए गए। रोजगार व ग्रामीण तकनीक में सोलर हैचरी, पैलेट मशीन, प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं कम श्रम वाले उपकरणों की माँग की गई। जलवायु सहनशीलता में मिथेन शमन व स्मार्ट चारा पर बल दिया गया।
कार्यक्रम का समापन डॉ. त्रिवेणी दत्त के सारगर्भित उद्बोधन से हुआ । कार्यक्रम का संचालन शल्य चिकित्सा के वैज्ञानिक डॉ रोहित कुमार द्वारा किया गया जबकि डॉ. बबलू कुमार (प्रधान वैज्ञानिक) द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया ।
इस अवसर पर अटारी के निदेशकगण- डॉ. एस.के. रॉय (पुणे), डॉ. एस.आर.के. सिंह (जबलपुर), डॉ. शेख एन. मीरा (हैदराबाद) और डॉ. वी. वेंकटासुब्रमण्यम (बेंगलुरु), संस्थान के संयुक्त निदेशक (शोध) डॉ एस के सिंह, संयुक्त निदेशक (शैक्षणिक), डॉ एस. के. मेंदीरत्ता, संयुक्त निदेशक (केडराड) डॉ सोहिनी डे, मुक्तेश्वर परिसर के संयुक्त निदेशक डॉ वाई. पी. एस. मलिक, बंगलुरु परिसर के संयुक्त निदेशक डॉ पल्लब चौधरी, उपस्थित रहे। साथ ही, क्षेत्रीय केंद्रों के प्रमुख, तथा 287 कृषि विज्ञान केन्द्रों से पशु विज्ञान के विषय वस्तु विशेषज्ञ एवं प्रमुखों ने सक्रिय सहभागिता की। बरेली से अखिलेश चन्द्र सक्सेना की रिपोर्ट

