अमेरिका बनाने जा रहा है बेहद शक्तिशाली परमाणु बम, हिरोशिमा पर गिराए बम से 24 गुना ज्यादा ताकतवर होगा

वॉशिंगटन: जापान के हिरोशिमा नागासाकी पर अमेरिका ने परमाणु बम से हमला किया था, जिसके निशान आज भी मौजूद हैं। अब अमेरिका ने यह कहकर दुनिया को चौंका दिया है कि उनके पास हिरोशिमा नागासाकी पर गिराए परमाणु बम से 24 गुना ज्यादा शक्तिशाली परमाणु बम है। यह बयान उस वक्त आया है जब इजराइल और हमास के बीच युद्ध चल रहा है। वहीं, दूसरी तरफ रूस और यूक्रेन के बीच भी घमासान जारी है। अमेरिकी बयान ने नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है।

अमेरिका ने एक नया परमाणु बम बनाने की तैयारी कर रहा है। अमेरिकी मीडिया के अनुसार, नया बम जापान के हिरोशिमा पर गिराए गए बम से 24 गुना ज्यादा ताकतवर होगा। अमेरिका के रक्षा विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पेंटागन ने नए बम की मंजूरी और फंडिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी है। नया बम बी61 न्यूक्लियर ग्रैविटी बम का आधुनिक संस्करण होगा, जिसे बी61-13 नाम दिया गया है।

अमेरिकी सरकार ने कही ये बात
अमेरिका की अंतरिक्ष रक्षा नीति के उपसचिव जॉन प्लम्ब ने बयान में कहा है कि ‘बदलते सुरक्षा माहौल और विरोधियों के बढ़ते खतरे को देखते हुए आज की घोषणा की गई है। अमेरिका के पास जिम्मेदारी है कि हम हालात की समीक्षा करते रहें और संभावित खतरे को रोकें और अगर जरूरत पड़े तो जवाबी कार्रवाई में हमला कर अपने सहयोगियों को आश्वस्त करें।’

हिरोशिमा बम से 24 गुना बड़ा होगा नया बम
अमेरिकी मीडिया के अनुसार, नए परमाणु बम का वजन 360 किलोटन होगा, जो कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से 24 गुना बड़ा होगा। हिरोशिमा में जो बम गिराया गया था उसका वजन 15 किलो टन था। वहीं जापान के नागासाकी में गिराए गए बम से नया बम 14 गुना बड़ा होगा। नागासाकी में गिराया गया बम 25 किलोटन का था। साथ ही नए बम में आधुनिक सुरक्षा, सटीकता भी बेहतर होगी।

हाल ही में नेवादा के परमाणु स्थल पर अमेरिका ने किया है परीक्षण

अमेरिका का नया परमाणु बम बनाने का यह एलान ऐसे वक्त आया है, जब हाल ही में अमेरिका ने नेवादा की न्यूक्लियर साइट पर एक बड़े बम विस्फोट का परीक्षण किया है। वहीं रूस भी 1966 की उस संधि से बाहर आ गया है, जिसके तहत दुनियाभर में परमाणु बम के परीक्षण पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। बताया जा रहा है कि नया बम पुराने बी61-7 बम की जगह लेगा, जिसके चलते अमेरिका के परमाणु हथियारों की संख्या में वृद्धि नहीं होगी बल्कि पहले से मौजूद जखीरा ज्यादा खतरनाक हो जाएगा।

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